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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015 (23:08 IST)

पचौरी के कार्यालय में प्रवेश पर लगाई रोक

पचौरी के कार्यालय में प्रवेश पर लगाई रोक - RK Pachauri
नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे टेरी महानिदेशक आरके पचौरी पर दिल्ली की एक अदालत ने उनके टेरी कार्यालय परिसर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी और साथ ही उन्हें 27 मार्च तक गिरफ्तारी से राहत दे दी। पचौरी पर एक महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
 
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजकुमार त्रिपाठी ने गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए पचौरी को मामले में गवाह और शिकायकर्ता टेरी के कर्मचारियों से संपर्क करने पर रोक दी है।
 
न्यायाधीश ने कहा, आरोपी को निर्देश दिया जाता है कि जांच के दौरान टेरी कार्यालय में नहीं जाएं। उन्हें यह भी निर्देश दिया जाता है कि वे टेरी के कर्मचारी, शिकायतकर्ता, गवाह से संपर्क नहीं करें या साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करें और अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जांच में शामिल हों। 
 
अदालत ने कहा, आरोपी को यह भी निर्देश दिया जाता है कि अदालत की अनुमति के बगैर वह देश से बाहर नहीं जाएं। उन्हें सुनवाई की अगली तारीख यानी 27 मार्च तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर अंतिम सुनवाई 27 मार्च को होगी।
 
पचौरी की तरफ से उपस्थित होने वाले वरीय अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायाधीश से आग्रह किया कि स्थगन को 28 मार्च तक बढ़ाया जाए क्योंकि कुछ व्यस्तताओं की वजह से वे अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकेंगे। अदालत ने शुरू में 28 मार्च तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और फिर कहा कि मामले की सुनवाई 27 मार्च को होगी और तब तक गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। 
 
सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी (आईओ) प्रतिभा शर्मा ने अदालत के निर्देश के मुताबिक स्थिति रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत दर्ज किया गया है और चूंकि आरोप काफी गंभीर प्रकृति के हैं, इसमें आरोपी (पचौरी) से हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता है।
 
स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि पचौरी ‘खराब स्वास्थ्य का बहाना बनाकर जानबूझकर जांच में शामिल नहीं हो रहे हैं और कानून की प्रक्रिया में उनका आचरण सही नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है, इस समय आरोपी (पचौरी) की अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया जाता है, क्योंकि आरोपी को जमानत दिए जाने से मामले की जांच निश्चित रूप से प्रभावित होगी। 
 
जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि पचौरी के फोन के ब्यौरे से पता चलता है कि उन्होंने शिकायतकर्ता को संदेश भेजे। जिरह के दौरान लुथरा ने कहा कि पचौरी पर भादंसं की धारा 354, 354 (ए), 354 (डी) और 506 के तहत मामला दर्ज है, जो जमानत योग्य है और एक धारा में पांच वर्ष तक की सजा हो सकती है, इसलिए उनके प्रति नरमी बरती जा सकती है।
 
लुथरा ने कहा कि पचौरी के हाल के चिकित्सा रिकॉर्ड से पता चलता है कि उनकी ओपन हार्ट सर्जरी की जानी है जिसके लिए आवश्यक जांच की गई है। उन्होंने कहा कि पचौरी टेरी से छुट्टी ले चुके हैं और इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) छोड़ दिया है इसलिए उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
 
उन्होंने आरोप लगाए कि शिकायतकर्ता द्वारा मुहैया कराए गए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सत्यापित नहीं हुए हैं और इसलिए कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। लुथरा ने कहा कि पचौरी अपने लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसे संचार उपकरण सौंप चुके हैं और जांच में शामिल हुए हैं।
 
पुलिस ने दावा किया कि पचौरी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और 21 फरवरी को खुद अस्पताल में भर्ती हो गए और जांच एजेंसी को इस बारे में सूचित नहीं किया। (भाषा)