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Last Modified: शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019 (19:19 IST)

राम मंदिर पर संघ प्रमुख भागवत का बड़ा बयान- निर्णायक दौर में मामला, जरूरत पड़ी तो आक्रोश भी जगाएंगे

राम मंदिर पर संघ प्रमुख भागवत का बड़ा बयान- निर्णायक दौर में मामला, जरूरत पड़ी तो आक्रोश भी जगाएंगे - ram mandir issue in crucial and decisive round mohan bhagwat
प्रयागराज। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि यह मामला ‘निर्णायक दौर' में है, मंदिर बनने के किनारे पर है इसलिए हमें सोच-समझकर कदम उठाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो ‘आक्रोश’ भी जगाया जाना चाहिए।
 
श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में कुंभ मेला में चल रही धर्म संसद को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि देश की दिशा भी इस उपक्रम में भटक न जाए, इसे भी ध्यान में रखेगा।
 
उन्होंने कहा कि आने वाले इन चार-छ: महीने के इस कार्यक्रम को ध्यान में रखकर हमें सोचना चाहिए। मैं समझता हू कि इन चार-छ: महीने की उथल-पुथल के पहले कुछ हो गया तो ठीक है, उसके बाद यह जरूर होगा, यह हम सब देखेंगे। 
 
उन्होंने मोदी सरकार की परोक्ष रूप से सराहना करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों से सताए गए हिन्दू अगर यहां आते हैं तो वे नागरिक बन सकते हैं, यह किसने किया है? 
 
उन्होंने यह बात नागरिकता संबंधी विधेयक की ओर संकेत करते हुए कही जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
 
संघ प्रमुख ने कहा कि जिस शब्दों में और जिस भावना से यह प्रस्ताव (राम मंदिर निर्माण) यहां आया है, उस प्रस्ताव का अनुमोदन करने के लिए मुझे कहा नहीं गया है, लेकिन उस प्रस्ताव का संघ के सर संघचालक के नाते मैं संपूर्ण अनुमोदन करता हूं। 
 
सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले से यह साबित हो गया था कि ढांचे के नीचे मंदिर है। अब हमारा विश्वास है कि वहां जो कुछ बनेगा वह भव्य राम मंदिर बनेगा और कुछ नहीं बनेगा।
 
उन्होंने कहा कि दूसरी बात, सरकार को हमने कहा था कि तीन साल तक हम आपको नहीं छेड़ेंगे...उसके बाद राम मंदिर है ...सरकार में मंदिर और धर्म के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि न्यायालय से जल्द निर्णय की व्यवस्था के लिए अलग पीठ बन गई। लेकिन कैसी-कैसी गड़बड़ियां करके उसे निरस्त किया गया, आप जानते हैं। 
 
भागवत ने कहा कि अब जब न्यायालय ने कह दिया कि यह उसकी प्राथमिकता में नहीं है। ‘हालांकि सरकार ने अपना इरादा (उच्चतम न्यायालय में अर्जी लगाकर) जाहिर कर दिया है, ऐसा मुझे लगता है। उन्हें लगा कि जिसकी जमीन है, उसे वापस कर देते हैं।
 
उन्होंने कहा कि यह मामला निर्णायक दौर में है... मंदिर बनने के किनारे पर है, इसलिए हमें सोच-समझकर कदम उठाने पड़ेंगे। हम जनता में जागरण तो करते रहें और चुप न बैठें, जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो आक्रोश भी जगाते रहें। 
 
भागवत ने कहा कि आगे हम कोई भी कार्यक्रम करेंगे, उसका प्रभाव चुनाव के वातावरण पर पड़ेगा। मंदिर बनने के साथ लोग यह कहेंगे कि मंदिर बनाने वालों को चुनना है। इस समय हमें भी यह देखना चाहिए कि मंदिर कौन बनाएगा। मंदिर केवल वोटरों को खुश करने के लिए नहीं बनाएंगे तभी यह मंदिर भव्य और परम वैभव हिन्दू राष्ट्र भारत का बनेगा।
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