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Last Modified: बुधवार, 28 सितम्बर 2016 (19:25 IST)

प्रतिदिन 10 लाख लोग नहीं कर पाते रेलयात्रा, जानिए क्‍यों...

प्रतिदिन 10 लाख लोग नहीं कर पाते रेलयात्रा, जानिए क्‍यों... - railway, rail journey, rail journey tickets, Indian Railways, rail passenger
नई दिल्‍ली। अपने गंतव्य तक जाने के लिए प्रतीक्षा सूची में टिकट लेने वाले करीब 10 लाख यात्री हर दिन बर्थ कंफर्म नहीं होने की वजह से यात्रा नहीं कर पाते हैं, जो भारतीय रेलगाड़ियों से रोजाना यात्रा करने वाले यात्रियों का 13 प्रतिशत है।      
       
ट्रेन यात्रियों को ऑनलाइन विभिन्न तरह की सलाह देने वाली कंपनी 'रेलयात्री डाटइन' ने इसको लेकर किए एक सर्वेक्षण के आधार पर यह दावा करते हुए बुधवार को कहा कि लंबी दूरी की गाड़ियों में मांग-आपूर्ति में भारी अंतर सर्वविदित है। हालांकि इस अंतर को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है। वह जनवरी 2016 से इस अंतर का विश्लेषण करने के लिए देशभर में टिकट बुकिंग पैटर्न पर नजर रख रही है।
        
उसने कहा कि लगभग 10-12 लाख यात्री ऐसे हैं जो रोजाना टिकट कन्फर्म न होने की वजह से यात्रा नहीं कर रहे हैं। प्रतिशत के आधार पर देखें तो यह रोजाना लंबी दूरी के ट्रेन यात्रियों का लगभग 13 प्रतिशत है। यात्रा के पीक सीजन में यह संख्या बढ़कर 19 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। 'रेलयात्री डाटइन' ने 3100 रेलवे स्टेशनों पर 2800 गाड़ियों में सीट की तलाश कर रहे 30 लाख से अधिक यात्रियों द्वारा दी गई जानकारी पर यह सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की है। 
      
'रेलयात्री डाटइन' के सह संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष राठी ने कहा कि ट्रेन में यात्रा में मांग-आपूर्ति के बीच व्याप्त अंतर से हर कोई अवगत है लेकिन अध्ययन में सामने आई अतिशेष मांग का पैमाना चकित करने वाला है।
 
उन्होंने कहा कि आनंद विहार टर्मिनस से यात्रा के लिए प्रतीक्षा सूची में टिकट बुक कराने वालों में से 43 प्रतिशत का बर्थ कंफर्म नहीं हो पा रहा है। इसी तरह से जम्मू तवी में 38 प्रतिशत, लोकमान्य तिलक टर्मिनस (मुंबई) 33 प्रतिशत, हावड़ा जक्शन कोलकाता 28 प्रतिशत, बेंगलुरु सिटी जंक्शन 21 फीसदी, हरिद्वार जंक्शन 21 प्रतिशत, पुणे 20 फीसदी, गुवाहाटी 20 फीसदी, चेन्नई सेंट्रल और गोरखपुर 19-19 प्रतिशत, सिकंदराबाद जंक्शन, लखनऊ स्टेशन और अमृतसर 18-18 प्रतिशत, अहमदाबाद और जयपुर 17 प्रतिशत, पटना जंक्शन 12 प्रतिशत, भोपाल, इलाहाबाद और कानपुर सेंट्रल आठ-आठ प्रतिशत तथा भुवनेश्वर सात प्रतिशत शामिल हैं। 
      
राठी ने कहा कि इन सबके बीच परिवहन के विकल्पों में बढ़ोतरी के बावजूद रेलगाड़ियां अभी भी लंबी दूरी की यात्रा का सबसे पसंदीदा साधन बनी हुई हैं। यह सोचना जरूरी है कि अधिक ट्रेनों का समावेश करना आदर्श समाधान होगा। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि सैकड़ों अतिरिक्त गाड़ियों को प्रतिदिन चलाया जाए। पहले से ओवरलोडेड नेटवर्क पर निकट भविष्य में और अधिक ट्रेनों को चलाने की संभावना बहुत कम दिख रही है। (वार्ता)
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