शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Rahul Gandhi in Kisan Rally
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 19 अप्रैल 2015 (16:24 IST)

राहुल बोले, किसानों की जमीन आसानी से छीन सकते हैं मोदी

राहुल बोले, किसानों की जमीन आसानी से छीन सकते हैं मोदी - Rahul Gandhi in Kisan Rally
नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर देश की नींव रखने वाले  किसान को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि वे उद्योगपतियों का उपकार  उतारने के लिए किसानों की जमीन छीनकर उन्हें दे रहे हैं।




करीब 2 माह के अवकाश के बाद सक्रिय राजनीति में लौटे गांधी ने यहां रामलीला मैदान में कांग्रेस  की किसान-खेत मजदूर रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यह सही है कि देश की प्रगति के लिए  'मेक इन इंडिया' और उद्योगों का विस्तार जरूरी है लेकिन किसान भी उतना ही जरूरी है।

उन्होंने कहा कि किसान ने हरित क्रांति के जरिए देश के विकास और प्रगति की नींव रखी थी। मोदी  की नीतियों से किसान और मजदूर घबराया हुआ है और उसे लग रहा है कि यह सरकार अमीरों और  उद्योगपतियों की है और उनके लिए इस सरकार में कोई जगह नहीं है। किसान को यह नहीं पता कि  उसकी जमीन कब छीन ली जाएगी।

उन्होंने कहा कि मोदी की एक ही नीति है कि किसान को कमजोर करो और उसके लिए ऐसी स्थिति  बना दो कि उसका जीवन कठिन हो जाए और फिर उसकी जमीन छीनकर अपने उद्योगपति मित्रों को  दे दो।

गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार संसद और जनभावना का अनादर कर भूमि अधिग्रहण  अध्यादेश लाई है जिससे कि किसानों की जमीन को मनमर्जी से जब चाहे ले सके। कांग्रेस सरकार  2 वर्षों तक सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के बाद भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आई थी जिसमें  किसानों के हितों को पूरा ख्याल रखा गया था।

उन्होंने कहा कि जब संसद में यह विधेयक पारित हुआ तो भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने मेजें  थपथपाकर इसका स्वागत किया था तो अब क्या बदल गया? आज क्या फर्क है, संसद का अनादर  कर अध्यादेश क्यों लाया जा रहा है?

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विधेयक में प्रावधान किए थे कि 80 फीसदी किसानों की सहमति  से ही जमीन ली जाएगी और उन्हें बाजार भाव से 4 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जाएगा। यह भी  व्यवस्था की गई थी कि यदि खरीदी गई जमीन पर 5 वर्षों तक कुछ काम नहीं होता तो वह वापस  कर दी जाएगी। लेकिन मोदी सरकार ने ये सभी प्रावधान हटा दिए हैं। इससे उसकी नीयत का पता  चलता है। इन प्रावधानों को हटाने की क्या जरूरत थी?

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा ‍कि मोदी ने चुनाव जीतने के लिए प्रचार के दौरान उद्योगपतियों से हजारों  करोड़ रुपए का कर्जा लिया था और गुजरात मॉडल का प्रचार किया तथा उन्होंने उद्योगपतियों को  विश्वास दिलाया था कि यदि वे प्रधानमंत्री बन गए तो जिस तरह गुजरात में किसान से जमीन ले  लेते हैं उसी तरह देशभर में जमीन लेकर उद्योगपतियों को दे देंगे तथा वे आपकी जमीन देकर उनका  कर्ज चुका रहे हैं।

गांधी ने कहा कि सरकार गरीब, मजदूर और किसान के लिए चलनी चाहिए लेकिन मोदी सरकार में  इन तीनों को नजरअंदाज कर अमीरों पर ही ध्यान दिया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान  बढ़-चढ़कर किसान की बात करने वाली एनडीए सरकार के शासन में फसलों का न्यूनतम समर्थन  मूल्य नहीं बढ़ाया जा रहा, उन्हें सब्सिडी और खाद नहीं मिल रही। और तो और, फसल भी मंडियों  में पड़ी है उसे खरीदा नहीं जा रहा।

उन्होंने कहा कि मोदी की एक ही नीति है कि नींव को कमजोर करो और इमारत को ऊपर से  चमकाओ और फिर दुनिया से कहो कि इमारत चमका दी।

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी हिन्दुस्तान के साथ भी यही व्यवहार कर रहे हैं। वे देश की नींव  माने जाने वाले किसान की जमीन अपने अमीर दोस्तों को देकर उसे कमजोर कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनसे कुछ आदिवासी लोग मिलने आए थे और उन्होंने कहा है कि यदि उनकी  जमीन वेदांता कंपनी को दी गई तो वे नक्सली बन जाएंगे।

गांधी ने विदेश यात्रा के दौरान दिए गए मोदी के इस बयान पर भी दुख जताया जिसमें उन्होंने कहा  था कि वे 50 साल का कचरा साफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का बयान न तो मोदी को  शोभा देता है और न ही यह प्रधानमंत्री के पद के अनुरूप है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस हमेशा की तरह किसान और मजदूर के साथ खड़ी रहेगी। जहां  भी किसानों की जमीन छीनी जाएगी वहीं कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और खुद मैं खड़ा दिखाई दूंगा।

उन्होंने भट्टा परसौल के किसानों का उदाहरण देते हुए कहा कि वे उसी तरह हर जगह किसानों के  साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि किसान अपना खून पसीना बहाकर देश को मजबूती प्रदान करते हैं, लेकिन इस सरकार के खोखले वादों से किसान निराश है। मोदी ने सत्ता में आने से पहले जो भी वादे किए थे, वे सब खोखले साबित हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान किसान को उनकी फसल पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थम मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में इस दर में कमी आ रही है। बोनस की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।

हाल की बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन इसके बदले उसे नहीं के बराबर राहत दी गई है। सरकार ने रस्म अदायगी कर घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि मोदी सरकार के पिछले 11 माह में क्या किया? उन्होंने कहा कि किसान संकट के दौर से गुजर रहा है और उसकी हालत गंभीर और चिंताजनक है।

सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदने को तैयार नहीं है जबकि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से रिकॉर्ड गेहूं खरीद के समझौते कर रही है। धान और कपास की कीमत गिर रही है और गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है। आलू की कीमतों में भी 80 प्रतिशत की गिरावट आई है और दूसरी पैदावारों का मूल्य भी नहीं मिल रहा है।