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Last Updated : मंगलवार, 19 जनवरी 2016 (18:51 IST)

पठानकोट हमला : क्या जांच एजेंसियों को उलझा रहे हैं SP सलविंदर सिंह के जवाब

पठानकोट हमला : क्या जांच एजेंसियों को उलझा रहे हैं SP सलविंदर सिंह के जवाब - Pathankot terrorist attack
पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद एसपी सलविंदर सिंह जांच के घेरे में हैं। पठानकोट हमले ने एक बार फिर भारत की आंतरिक सुरक्षा की पोल खोलकर रख दी। छ: की संख्या में आए आतंकियों ने अतिसंवेदनशील माने जाने वाले पठानकोट एयरबेस को अपने नापाक इरादों के लिए चुना था। इन आतंकियों से लोहा लेते हुए कर्नल रैंक समेत 7 जवानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। 
 
पठानकोट एयरबेस में मिग 21 जैसे कई युद्धक विमान और अतिआधुनिक रडार हैं, जिन्हें तबाह करना इन आतंकियों का मकसद हो सकता था।  पांच महीने पहले जुलाई में गुरदासपुर जिले के दीनानगर में डेढ़ घंटे में 7 हमले हुए थे आतंकी हमला हुआ था। 20 साल के बाद पंजाब में हुए इस आतंकी हमले में 11 घंटे के एनकाउंटर के बाद आतंकियों को मार गिराया गया था। 
पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया गया और इस पूरे हमले का मास्टर माइंड कंधार में विमान अपहरण में रिहा किया गया मौलाना अजहर मसूद अजहर था, जो पा‍क में बैठकर आतंकियों को सारे निर्देश दे रहा था। 
 
भारत के लिए अहम है पठानकोट एयरबेस : सामरिक दृष्टि से भारतीय सीमा के पास स्थित पठानकोट एयरबेस भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मिग 21 लड़ाकू विमानों के लिए यह बेस स्टेशन है। यहां बड़े हथियार रखे जाते हैं। युद्ध के समय पूरी रणनीति को यहीं से बनाया जाता है। 1965 और 1971 की लड़ाई में इस एयरफोर्स स्टेशन ने की बड़ी भूमिका अदा की थी।   
 
अब पठानकोट हमले के बाद एनआईए इस पूरी गुत्थी को सुलझाने में लगी हुई है। जांच एजेंसी को शक है कि बिना स्थानीय व्यक्ति की मदद के आतंकी पठान एयरबेस में नहीं घुस सकते हैं। इस जांच में शक के घेरे में आए हैं गुरुदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह। इस आतंकी घटना से पहले ही एसपी का अपहरण हुआ था। क्या आतंकी घटना और अपहरण में कुछ संबंध था?
 
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अपहरण या साजिश : पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले से ठीक दो दिन पहले 31 दिसंबर और 1 जनवरी की दरमियानी को गुरुदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह का आंतकवादियों ने उनके गनर व कुक के साथ उस वक्त अपहरण कर लिया था, जब वे धार्मिक स्थल के दर्शन करके लौट रहे थे। एसपी के साथ गुरदासपुर के जूलर राजेश वर्मा और उनके कुक मदन लाल थे। सेना की वर्दी में पांच अपराधियों ने गुरुवार आधी रात के बाद को इनका अपहरण किया था। 
 
आतंकियों ने एसपी सलविंदर सिंह और उनके लवाजमे को उन्हें करीब 15 किलोमीटर दूर ले जाकर एक-एक करके छोड़ दिया गया। यही नहीं, वहशी आतंकियों ने अपहरण स्थल से कुछ ही दूरी पर 24 वर्षीय युवक इकागर सिंह की तेजधार हथियार से हत्या कर दी गई। अपहरणकर्ताओं ने एसपी को तो अपहरण के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन उनके गनर को आतंकवादी कुछ दूर घायल अवस्था में जंगल में फेंककर चले गए थे। 
 
तब एसपी ने दिया था यह बयान : एसपी सलविंदर सिंह ने कहा था कि उन्हें पठानकोट के गांव कोहलियां और कठाना के बीच से अगवा किया था। अगवा करने वालों की संख्या पांच थी। उनके पास एक 47 भी थे। अपहरणकर्ताओं ने करीब पंद्रह किमी दूर ले जाकर पहले उन्हें, इससे कुछ दूरी पर कुक को और अंत में जूलर को छोड़ दिया। अपहरणकर्ताओं ने एसपी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन राजेश वर्मा व मदन लाल को तेजधार हथियारों से घायल कर दिया। 
 
घटनास्थल से कुछ दूरी से एसपी की गाड़ी भी बरामद हुई थी। जिस स्थल से एसपी को अगवा किया गया, उसी के नजदीक से 24 वर्षीय युवक इकागर सिंह का शव भी मिला। शव से जाहिर होता है युवक की तेजधार हथियारों से हत्या की गई है। यहीं से कुछ दूरी पर युवक की इनोवा कार भी बरामद हुई है। 
 
अगले पन्ने पर, एसपी की बातों पर नहीं किया यकीन...
 
 

मनगढ़त कहानी ? : अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छूटे एसपी ने अपने अपहरण की शंका आतंकियों पर जताई, लेकिन पंजाब पुलिस ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया। वर्तमान में पंजाब सशस्त्र पुलिस की 75वीं बटालियन में सहायक कमांडेंट के तौर पर पदस्थ सलविंदर को आतंकवादी हमले से कुछ दिन पहले ही गुरदासपुर के पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) पद से स्थानांतरित किया गया था और अनुशासनहीनता के आरोप लगे थे। पंजाब पुलिस को लगा कि शायद एसपी मनगढ़ंत कहानी रच रहे हैं।
ड्रग माफिया से संबंध : पंजाब में ड्रग का कारोबार तेजी से फैल रहा है। इन ड्रग कारोबार के आड़ में ही पाकिस्तान के आतंकी संगठन भारत में दहशत फैलाते हैं। सलविंदर ने पूछताछ में यह कबूल किया था कि ड्रग्स की हर खेप की एवज में उन्हें हीरे की ज्वैलरी मिलती थी। उसका ज्वैलर फ्रैंड राजेश इन डायमंड का टेस्ट कर बताता था कि ये नकली हैं या असली? खबरों के मुताबिक ड्रग्स की खेप के बदले गोल्ड या डायमंड लेते थे और इसी स्टोर के जरिए बेच देते थे। सवाल यह भी उठा कि सलविंदर और उनका दोस्त राजेश वर्मा क्या 31 दिसंबर को बॉर्डर के पास धार्मिक स्थल के दर्शन करने गए थे?
 
एसपी के साथी राजेश वर्मा ने यह दिया था बयान : एसपी सलविंदर सिंह के साथ राजेश वर्मा भी थे। उन्हें घायलावस्था में ही आतंकियों ने छोड़ दिया था। राजेश वर्मा ने बयान दिया था कि आतंकी संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की मौत का बदला लेने आए थे। कार में सवार सेना की वर्दी पहने छ: आतंकवादियों में से चार हथियारों से लैस तथा दो बिना हथियार के थे। वो गाड़ी चला रहा था इसलिए आतंकवादियों ने उसे एसपी समझ लिया और अपने साथ ले गए तथा एसपी और कुक को रास्ते में फेंक दिया। इन्होंने जूतों के फीतों से उसके हाथ पैर बांधकर पठानकोट के पास गला रेतकर मरा समझकर फेंक दिया।
 
खूफिया एजेंसियों को बताई थी बात : राजेश वर्मा ने बयान दिया था कि  मैंने पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों को पूरी बात बताई लेकिन किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया, बल्कि पंजाब पुलिस ने उसे जलील किया। सारे दिन वह यही रट लगाता रहा कि वे आतंकवादी थे लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया। राजेश वर्मा का कहना है कि ‘इतना बड़ा हमला होने से बच जाता यदि मेरी बात पर एतबार कर लिया गया होता'।
अगले पन्ने पर, इन बातों से हुआ शक...
 

जिंदा छोड़ने पर हुआ शक : आतंकियों के अपहरण से सलविंदर सिंह का जिंदा बच जाना भी कई सवाल खड़े करता है। एसपी का कहना है कि आतंकी उन्हें पहचान नहीं पाए, इसलिए उन्हें जिंदा छोड़ दिया गया। 
 
बार-बार बदले बयान : बार-बार बदलते बयानों की वजह से सलविंदर पर सवाल उठ रहे हैं। एनआईए को पूछताछ में एसपी और उनके रसोइए के बयानों में विरोधाभास मिला। पठानकोट आतंकी हमले के बाद एसपी सलविंदर सिंह ने कहा था कि उन्हें आतंकवादियों ने अगवा किया था। आतंकवादियों ने उन्हें घने जंगल में फेंक दिया और उनकी नीली बत्ती लगी आधिकारिक एसयूवी लेकर फरार हो गए थे। बाद में आतंकी इसी एसयूवी में सवार होकर पठानकोट पहुंचे। एसपी की वह एसयूवी पठानकोट में वायुसेना ठिकाने से करीब 1.5 किमी दूर पाई गई थी। 
 
जांच एजेंसी को एसपी के बयानों पर शक हुआ है। उन्होंने कई बार अपने बयान बदले हैं, जिसमें उन्होंने आतंकियों की संख्या बार-बार अलग-अलग बताई है। एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते उनके पास पहले से ही आतंकियों की घुसपैठ की खुफिया सूचना थी। उसी शाम पंजाब पुलिस ने आतंकी हमले की आशंका जताते हुए सभी पुलिस अधिकारियों को रात में निगरानी रखने के निर्देश दिए थे। 
 
सलविंदर सिंह का कहना है कि जिस समय उनका अपहरण किया गया, उस समय वे पठानकोट के धार्मिक स्थल के दर्शन कर लौट रहे थे, लेकिन गुरुवार देर रात अपने एक ज्वेलर दोस्त और कुक के साथ उनके भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास बिना सुरक्षा गार्ड के जाना उन पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने आतंकियों की संख्या भी हर बार पूछताछ में अलग-अलग बताई। 
 
अगले पन्ने पर, नहीं दिया खूफिया एजेंसियों के अलर्ट पर ध्यान... 
 
 

वायरलेस सेट से डिलिट हुआ डेटा : एनआईए ने तलाशी में एसपी की गाड़ी से एक चाइनीज वायरलेस सेट रिकवर किया है, जिसका डाटा आतंकियों ने डिलीट कर दिया है। डाटा को दोबारा निकालने के लिए इसे तकनीकी निगरानी करने वाली खुफिया एजेंसी (एनटीआरओ) के फारेंसिक लैब में भेजा गया है। 
 
लाई डिटेक्टर टेस्ट से सामने आएगा सच : विशेष अदालत ने एनआईए को सलविंदर सिंह का लाइ डिटेक्टर टेस्ट करवाने की अनुमति दे दी है। इसके बाद एजेंसी सलविंदर सिंह का लाई डिटेक्टर टेस्ट कर रही है। इसके बाद ही हमले से जुड़ा सच सामने आएगा।

हमले का जारी किया था अलर्ट : भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने 22 नवंबर को सूचना दी थी कि एयरफोर्स सेंटरों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई घुसपैठ करने की फिराक में हैं। इन एयरफोर्स सेंटरों पर आतंकी हमला कर सकते हैं। नए साल से पहले ही दिसंबर में गृह मंत्रालय ने भी अलर्ट जारी किया था कि आतंकी पंजाब को अपना निशाना बना सकते हैं।  
                                                                            अगले पन्ने पर, गिरफ्तारी के बाद भी नहीं हुए गंभीर...
 
 

भारतीय कर्मचारियों ने दी गोपनीय जानकारी : दिसंबर में बठिंडा से एयरफोर्स के पूर्व अधिकारी केके रंजीत को गिरफ्तार किया गया था। रंजीत देश के एयरफोर्स स्टेशनों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां आईएसआई की खूबसूरत महिला एजेंट को जानकारी दे रहा था। 
 
दिसंबर में ही 4 जासूस जोधपुर से पकड़े गए हैं। ये जासूस पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से रुपए लेकर भारत के बारे में आवश्यक जानकारियों के साथ-साथ एकमात्र परमाणु विस्फोट स्थल के बारे में सूचनाएं भिजवाया करते था। पठानकोट हमले में जांच के दायरे में आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले रंजीत भी आया। 
 
जांच में यह खुलासा हुआ कि आईएसआई की महिला एजेंट भारतीय सेना के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने जाल में फंसा कर उनसे वे जानकारी जानने को कोशिश कर रही हैं जो बेहद गोपनीय हैं। अब सवाल यह भी उठा कि कहीं पठानकोट में एयरफोर्स के स्टेशन पर हुए हमले के पीछे कहीं देश के अंदर बैठे जासूसों की मदद से तो नहीं कराया गया है?