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Last Modified: शनिवार, 21 जनवरी 2017 (14:06 IST)

चेक बाउंस मामले में नोटिस की जरूरत नहीं

चेक बाउंस मामले में नोटिस की जरूरत नहीं - Notice in cheque bounce case
मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ ने चेक बाउंस के विषय में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है कि चेक बाउंस मामले में नोटिस भेजने की जरूरत नहीं। अदालत ने कहा कि अगर कर्जदार किसी दायित्व से शुरू से ही इंकार करे तो मामला शुरू करने के लिए नोटिस भेजे जाने के बाद चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता के लिए सांविधिक अवधि 15 दिन इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
 
न्यायमूर्ति एस विमला ने एक याचिका को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी जिसमें निचली अदालत में लंबित चेक बाउंस के एक मामले को इस आधार पर खारिज करने की मांग की गयी थी कि शिकायतकर्ता ने 15 दिन की सांविधिक अवधि खत्म होने के पहले अदालत का रूख किया।
 
अदालत ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमैंट्स कानून कर्जदार को अपने खाते में बिना रकम के चेक जारी करने पर अपना दायित्व निभाने तथा गलती सुधारने के लिए ‘‘मोहलत’’ देता है। लेकिन, अगर कर्जदार दायित्व से इंकार कर दावा करता है कि उसने कोई कर्ज नहीं लिया है तो भुगतानकर्ता तुरंत शिकायत दर्ज करा सकता है।
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