गाय की बात कर क्यों भावुक हुए नरेन्द्र मोदी...
साबरमती आश्रम के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर नरेन्द्र मोदी गुरुवार को लोगों को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। दरअसल, प्रधानमंत्री गाय की बात करते समय अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए।
गोरक्षा के नाम होने वाली हिंसा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को गोरक्षा के नाम पर कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। गाय की रक्षा के नाम पर हो रही घटनाओं से दुखी मोदी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से पीड़ा होती है। गाय के नाम पर किसी की जान लेना गलत है।
मोदी ने गुरुवार को यहां महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु श्रीमद राजचंद्रजी की 150वीं जयंती के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मैं देश के वर्तमान माहौल की ओर अपनी पीड़ा और नाराजगी भी व्यक्त करना चाहता हूं। जो देश चींटी को भी खिलाने में विश्वास करता हो, जो देश मोहल्लों में फिरने वाले कुत्तों को भी खिलाने की फिक्र करता हो, जहां सुबह ही मछलियों को खिलाने की परंपरा रही हो और जिसे गांधीजी ने अहिंसा का का पाठ पढ़ाया हो, वहां मरीज की मौत पर अस्पताल में आग लगाई जा रही हो, दुर्घटना होने पर चालक को मार दिया जा रहा हो, गौरक्षा के नाम पर इंसान को मार दिया जा रहा है। इसका हक किसी को नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर गौभक्ति करनी है तो उसके लिए विनोबा भावे और गांधी जी का मॉडल अपनाया जाना चाहिए। किसी को भी इसके लिए कानून हाथ में लेने का हक नहीं है। मोदी ने कहा कि वह देशवासियों से कहना चाहते हैं कि हिंसा समस्याओं का कोई समाधान नहीं है।