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Last Updated :मुंबई , गुरुवार, 2 अप्रैल 2015 (15:17 IST)

मोदी बोले, 2035 तक गरीबों के घर पहुंचे बैंक...

मोदी बोले, 2035 तक गरीबों के घर पहुंचे बैंक... - Modi in RBI
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिजर्व बैंक से वित्तीय सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेशन की एक 20 वर्षीय वृहद योजना तैयार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने बैंकों को गरीबों, खासकर किसानों को ऋण देने और वसूली करते समय नरमी का रुख अपनाने को भी कहा।


यहां भारतीय रिजर्व बैंक की 80वीं वषर्गांठ के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आरबीआई 2035 में अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करेगा। केंद्रीय बैंक के लिए यह उपयुक्त होगा कि वह तब तक वित्तीय समावेश के विषय पर काम करे और इसे हासिल करने के लिए एक वृहद योजना तैयार करे।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2019 में पड़ने वाली महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, 2022 में आने वाली स्वाधीनता की 75वीं वषर्गांठ और 2025 में पड़ने वाली आरबीआई की 90वीं वषर्गांठ एवं 2035 में आरबीआई की 100वीं वषर्गांठ के लिए भी वित्तीय समावेशन के लक्ष्य तय किए जा सकते हैं।
 
उन्होंने कहा कि ये चार महत्वपूर्ण तिथियां हैं। हम वित्तीय समावेशन के लिए एक वृहद योजना तैयार कर सकते हैं। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि यह केवल सरकार का ही कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसे ‘विश्वास का विषय’ बनाया जाना चाहिए।
 
मोदी ने किसानों की आत्महत्या और देश में गरीबों की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए बैंकों से अपील की कि वे गरीबों को वित्तीय मदद दें। उन्होंने कहा कि किसानों की दुर्दशा से बैंकिंग क्षेत्र की अंतरात्मा भी विचलित होनी चाहिए।

मोदी ने कहा कि हमारे किसान आत्महत्या करते हैं। इसका दर्द केवल अखबारों एवं टीवी स्क्रीन तक सीमित नहीं रहना चाहिए। जब किसान मरता है तो क्या बैंकिंग क्षेत्र का दिल नहीं दहलता। महाजन से ऋण लेने के चलते उसे मौत का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने बैंकों से पाकृतिक संसाधनों से संपन्न पूर्वी राज्यों को भी ऋण देने की अपील की।
 
मोदी ने कहा, 'ऐसे समय में जब आरबीआई अपनी 80वीं वषर्गांठ मना रहा है, क्या हमें यह चिंतन कर सकते हैं कि हम अपने बैंकिंग क्षेत्र का इतना विस्तार कर दें कि किसी भी किसान को कर्ज के भारी बोझ के चलते आत्महत्या न करनी पड़े। क्या हम यह सपना नहीं देख सकते। मैं नहीं मानता कि गरीबों की मदद कर कोई बैंक दिवालिया हो सकता है।'
 
प्रधानमंत्री ने बैंकों से रचनात्मक वित्तीय समावेशन योजनाएं लाने को कहा ताकि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि किसानों को मदद उपलब्ध कराने से पर्यावरण अनुकूल पहल को प्रोत्साहित करने में भी मदद मिलेगी।
 
पर्यावरण अनुकूल पहल का वित्त पोषण करने में गर्व महसूस करने वाले बैंकों को पौधे लगाने के लिए किसानों को धन उपलब्ध कराना चाहिए क्योंकि यह कारखानों में कार्बन उत्सर्जन घटाने जितना ही महत्वपूर्ण है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं गरीबों, वंचित तबके, हाशिए पर गए लोगों व आदिवासियों के प्रतिनिधि के तौर आता हूं.. मैं उनकी ओर से मदद मांग रहा हूं और मुझे विश्वास है कि आप निराश नहीं करेंगे।' (भाषा)