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Last Modified: शनिवार, 23 मई 2015 (10:30 IST)

माओवादी होना जुर्म नहीं: केरल हाईकोर्ट

माओवादी होना जुर्म नहीं: केरल हाईकोर्ट - Maoism
तिरुवनंतपुरुम। केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए सभी को चौंका दिया। उसने अपने फैसले में कहा कि माओवादी होना अपराध नहीं है। इसलिए किसी माओवादी संगठन से जुड़े होने पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

उल्लेखनीय है कि भारत में माओवादी संगठन द्वारा हिंसात्मक गतिविधियां फैलाने के लिए कुख्यात है। यह उसी तरह है जिस तरह की कोई आतंकवादी संगठन होता है।
 
जस्टिस एएम मोहम्मद मुश्ताक ने कहा, 'माओवाद विचारधारा हमारे संविधान की भावना से मेल नहीं खाती। लेकिन विचार की स्वतंत्रता का अधिकार सभी को है। स्वतंत्रता तभी गैरकानूनी होगी, जब वह कानून का उल्लंघन करेगी।'
 
आदेश के मुताबिक, 'पुलिस सिर्फ इसलिए किसी को हिरासत में नहीं रख सकती क्योंकि वह माओवादी है।' हालांकि कोर्ट ने यह साफ किया है कि अगर कोई शख्स या संगठन हिंसा करता है तो कानूनी एजेंसियां उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
 
1 लाख रुपए का मुआवजा : याचिकाकर्ता श्याम बालकृष्णन को केरल पुलिस के स्पेशल स्क्वॉड ने माओवादी होने के शक पर गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने आदेश दिया है कि दो महीने के भीतर बालकृष्णन को एक लाख रुपए बतौर मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा मुकदमे के खर्च के तौर पर दस हजार रुपए देने को भी कहा गया है।