Doctor rape and murder case Kolkata: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने उन आरोपों को खारिज कर दिया है कि उन्होंने आरजी कर अस्पताल में दुष्कर्म-हत्या (rape and murder) की पीड़ित रेजिडेंट डॉक्टर (resident doctor) के परिवार को पैसे देने की पेशकश की थी। इस विवाद पर पीड़ित डॉक्टर के पिता ने बुधवार को कहा कि वे यह फैसला आम लोगों पर छोड़ते हैं कि मुख्यमंत्री सच बोल रही हैं या नहीं।
महिला डॉक्टर के पिता ने दावा किया कि घटना के बाद जब बनर्जी उनके घर आईं थीं तो उन्होंने मुआवजे की पेशकश की थी और बाद में सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि उनकी सरकार उनकी बेटी की याद में कुछ बनाने के लिए उन्हें 10 लाख रुपए देने को तैयार है।
महिला डॉक्टर के पिता ने कहा कि हमारी बेटी की मौत के बाद जिस दिन मुख्यमंत्री हमारे घर आईं, उन्होंने हमें मुआवजा देने की पेशकश की। बाद में एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि उनकी सरकार हमारी बेटी की याद में कुछ बनाने के लिए हमें 10 लाख रुपए दे सकती है। अब, मैं यह लोगों पर छोड़ता हूं कि वे यह तय करें कि वे (मुख्यमंत्री) सच बोल रही हैं या नहीं।
ममता बनर्जी ने सोमवार को उन आरोपों को खारिज कर दिया था कि उन्होंने पीड़ित डॉक्टर के माता-पिता को पैसे देने की पेशकश की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह चिकित्सकों का एक मंच था जिसने मांग की थी कि राज्य सरकार परिवार को मुआवजा दे।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि मैंने पीड़ित डॉक्टर के परिवार को कभी पैसे देने की पेशकश नहीं की, यह बदनामी के अलावा कुछ नहीं है। मैंने डॉक्टर के माता-पिता से कहा था कि अगर वे अपनी बेटी की याद में कुछ करना चाहते हैं, तो हमारी सरकार उनके साथ है। मुझे पता है कि कब क्या कहना है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वे जूनियर चिकित्सकों के पिछले 33 दिनों से काम बंद रखने का समर्थन करते हैं जिसके कारण राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं, पीड़िता के पिता ने कहा कि हम मरीजों की पीड़ा और परेशानी समझ सकते हैं, लेकिन आपको यह भी समझना होगा कि डॉक्टर एक बड़े उद्देश्य के लिए लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर का काम मरीजों का इलाज करना, उनका ऑपरेशन करना है, लेकिन अब वे सड़कों पर उतर आए हैं और उनके आंदोलन को सभी का समर्थन मिल रहा है, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। हम उनका तहे दिल से समर्थन करते हैं।
51 डॉक्टरों की सुनवाई टली : आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधिकारियों ने बुधवार को उन 51 डॉक्टरों के मामले की सुनवाई टाल दी जिन्हें संस्थान के लोकतांत्रिक माहौल को खतरे में डालने और डराने-धमकाने की संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोप में नोटिस जारी किया गया था। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ने सोमवार को 51 डॉक्टरों को डराने-धमकाने की संस्कृति को बढ़ावा देने और संस्थान के लोकतांत्रिक माहौल को खतरे में डालने के आरोप में नोटिस जारी किया था और उन्हें 11 सितंबर को समिति के समक्ष पेश होने को कहा था। नोटिस में कहा गया है कि उन्हें समिति के समक्ष अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।
यह निर्णय आर.जी. कार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की विशेष परिषद समिति द्वारा लिया गया तथा जांच समिति द्वारा बुलाए जाने तक 51 डॉक्टरों का संस्थान के परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस सूची में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर, हाउस स्टाफ, इंटर्न और प्रोफेसर शामिल हैं।
आरजी कर अस्पताल में 9 अगस्त को एक प्रशिक्षु डॉक्टर की मौत के बाद जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन से अस्पताल हिल गया है। पीड़िता का कथित तौर पर ड्यूटी के दौरान बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना से पूरे देश में आक्रोश फैल गया है।(इनपुट भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta