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Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 31 मार्च 2015 (23:30 IST)

फिर से जारी होगा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, कैबिनेट की मंजूरी

फिर से जारी होगा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, कैबिनेट की मंजूरी - Land Acquisition Ordinance
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने उन नौ संशोधनों को शामिल करते हुए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी करने की सिफारिश करने का मंगलवार रात फैसला किया जो इसी महीने लोकसभा में पारित संबंधित विधेयक का हिस्सा थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन 5 अप्रैल तक इसके राज्यसभा में पारित होने की कोई संभावना नहीं है।
 
अब यह सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास जाएगी। उम्मीद की जाती है कि वह अध्यादेश को 5 अप्रैल से पहले फिर जारी करेंगे। पूर्ववर्ती अध्यादेश 5 अप्रैल को निष्प्रभावी हो जाएगा। सूत्रों ने बताया कि यह नया अध्यादेश होगा जिसमें उन सभी नौ संशोधनों को शामिल किया जाएगा जो लोकसभा में लाए गए थे। उन्होंने कहा कि अध्यादेश पहले से ही लंबित विधेयक से अलग नहीं हो सकता।
 
भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। दिसंबर में जारी अध्यादेश के स्थान पर इस विधेयक को लाया गया था। अध्यादेश के प्रभावी बने रहने के लिए इसे 5 अप्रैल तक संसद की मंजूरी मिल जानी चाहिए थी, लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और यह विधेयक उस सदन में पारित नहीं हो सका है।
 
सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने इस विधेयक का व्यापक विरोध किया है। अध्यादेश के विरोध को दरकिनार करते हुए संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने शुक्रवार को राज्यसभा के मौजूदा सत्र का सत्रावसान करने का फैसला किया था ताकि अध्यादेश को फिर से जारी करने का रास्ता साफ हो सके। राष्ट्रपति ने शनिवार को सदन का सत्रावसान कर दिया था।
 
संविधान के अनुसार कोई अध्यादेश जारी करने के लिए संसद के कम से कम एक सदन का सत्रावसान जरूरी है। संसद का बजट सत्र 23 फरवरी को शुरू हुआ था और अभी एक महीने का अवकाश है। यह अध्यादेश जारी होने पर मोदी सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला 11वां अध्यादेश होगा।
 
भूमि विधेयक को लेकर विपक्ष द्वारा सरकार पर किये हमलों की पृष्ठभूमि में मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार और भाजपा दोनों का मानना है कि भूमि विधेयक के बारे में किसानों की आशंकाओं को दूर किए जाने की जरूरत है। सरकार जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि वह किसान विरोधी और कारपोरेट समर्थक नहीं है तथा यह भी कि किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा, जैसा कि विपक्ष प्रचार कर रहा है।
 
बजट सत्र से पहले भी मोदी ने अपनी पूर्ण मंत्रिपरिषद के साथ विचार विमर्श किया था और उनसे केन्द्रीय बजट के बारे में बंधी बंधाई सोच से बाहर निकल कर सुझाव देने को कहा था। यह बैठक इन खबरों के बीच हुई जिनके अनुसार आरएसएस के एक शीर्ष अधिकारी ने सरकार से कहा कि ‘कट जाने’ (जनता से) के कारण दिल्ली चुनावों में पराजय मिली। इन खबरों के बीच ही भाजपा प्रमुख अमित शाह ने देश भर के पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से प्रत्येक माह के पहले एवं तीसरे सोमवार को मुलाकात करने का निर्णय किया है। (भाषा)