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Last Updated : शनिवार, 18 अप्रैल 2015 (16:12 IST)

क्यों नहीं लगाई मसर्रत पर 'देशद्रोह' की धारा?

क्यों नहीं लगाई मसर्रत पर 'देशद्रोह' की धारा? - Kshmir terrorism_ masarrat Alam
श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी नेता मसर्रत आलम बट को शुक्रवार सुबह श्रीनगर में गिरफ्तार करने के बाद 7 दिन की रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। पाकिस्तान और हाफिज सई के समर्थन में नारे लगाने और पाकिस्तानी झंडा फहराने के अलावा त्राल मार्च के मद्देनजर मसर्रत की गिरफ्तारी की गई है।
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गिरफ्तारी के बाद मसर्रत को शहीदगंज पुलिस स्टेशन ले जाया गया। मसर्रत की गिरफ्तारी के बाद हंगामा होने की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा के कडे इंतजाम किए गए हैं। कश्मीर में

फिलहाल मसर्रत बडगाम पुलिस स्टेशन में हैं और उससे पुलिस पूछताछ कर रही है। राज्य सरकार ने मसर्रत के ऊपर देशद्रोह छोड़कर अन्य पांच धाराओं 120 बी, 147, 341, 346 और 427 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। राज्य सरकार जानती है कि यदि देशद्रोह की धारा लगाई गई तो मसर्रत की जमानत मुश्किल हो जाएगी, जबकि मसर्रत ने खुलेआम देशद्रोह किया है।

7 दिन की रिमांड के बाद मसर्रत को कोर्ट में पेश किया जाएगा। नजरबंदी के बाद मसर्रत आलम का कहना था कि लोग रैली में तो जाएंगे, सरकार को जो करना है वह करे, हमें जो करना है वह तो हम करेंगे ही।

गौरतबल है कि रैली के दौरान मसर्रत आलम और सैयद अली शाह गिलानी ने वहां मौजूद हुजूम से पाक के समर्थन में नारे लगवाए। दोनों ही नेता मेरी जान पाकिस्तान के नारे लगा रहे थे। पाकिस्तान अमर रहे, हमे चाहिए पाकिस्तान जैसे नारे पूरी रैली के दौरान गूंजते रहे। यह आश्चर्य करने वाली बात यह है कि इस रैली को पाकिस्तान के कई इलाकों में लाइव भी दिखाया गया।

अगले पन्ने पर अलगाववादियों का सच...
कश्मीर की आम गरीब जनता नहीं जानती की जेहाद और आजाद कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों के अपने हित हैं जिसे वह स्थानीय लोगों की आड़ में साधना चाहते हैं। उनको तो इस काम के लिए पाकिस्तान से मोटी रकम मिल जाती है लेकिन लोगों को क्या मिलता है?

ये लोग यह नहीं जानते कि अलगाववादी नेता उस वक्त कहां थे जब घाटी में बाढ़ के चलते लोग अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहे थे। कई स्वयंसेवी संस्थाओं और सेना की मदद से लाखों लोगों की जान बच पाई।

अलगाववादी नेताओं को कश्मीर के विकास और लोगों की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। घाटी में जब सैकड़ों लोग तड़प-तड़पकर बाढ़ के समय मारे गए तो ये नेता अपने आलीशान घरों में आराम फरमाते रहे थे। जब खुद इनकी जान पर आई तो सेना ने इनको बचाया।

यह उदाहरण सामने है कि जेकेएलएप के नेता यासीन मलिक ने बाढ़ के समय उस नाव को भी छीन लिया था जो बाढ़ पीड़ितों को बचाने का काम कर रही थी।  अलगाववादी नेता यहां के लोगों की न मिलने वाली सहूलियतों के चलते इन्हें भड़काने में सफल होते हैं। ऐसे में यहां के लोगों के आर्थिक हालात को सुधारने का केंद्र सरकार का सपना महज सपना ही रहेगा।

भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के लिए इन अलगाववादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। अलगाववादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद के दम पर ही कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थन में ये आतंकी माहौल बनाने में सफल होते हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी, ईडी सहित कश्मीर की पुलिस अलगाववादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद की जांच में जुटे हैं। साथ ही ये सभी एजेंसियां मिलकर खुफिया एजेंसी को इस मामले की जांच में पूरी मदद कर रही हैं।

अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में शांति के माहौल को बिगाड़ने के लिए सीमापार से इन अलगाववादियों को बड़ी आर्थिक मदद मिलती है। हुर्रियत कांफ्रेंस, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, इस्लामिक स्टूडेंट फ्रंट, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जैश ए मुजाहिद्दीन, जमीयतुल मुजाहिद्दीन सहित कई संगठनों को यह पैसा पहुंचाया जाता है।

ऐसे में वादियों की फिजा को बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल हो रहे पैसे की जांच इस सरकार का मुख्य मुद्दा है।

जांच एजेंसियों ने इस बात का भी खुलासा किया है कि इन आतंकियों और अलगाववादियों को दुनिया के कई देशों से आर्थिक मदद मिल रही है, ऐसे 90 लोगों की पहचान की गयी है जो वादी में इन लोगों की मदद के लिए सक्रिय हैं। 2009 से 2011 के बीच की जांच इस बात का खुलासा करती है जिसमें 1.2 करोड़ रुपए इन व्यक्तियों को जरिए जब्त किए गए थे।