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Written By वृजेन्द्रसिंह झाला

कश्मीर आपके 'दरवाजे' पर

धरती के स्वर्ग को लगी किसी की नजर-अहमद शाह

कश्मीर आपके 'दरवाजे' पर - Kashmir Turism Jammu Kashmir
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर का पर्यटन विभाग इन दिनों देश के दूसरे इलाकों में दस्तक दे रहा है। इसका खास मकसद लोगों को यह भरोसा दिलाना है कि कश्मीर पर्यटन के लिहाज से अब पूरी तरह महफूज है। वे कश्मीर में तशरीफ लाएं और इसे खुद महसूस करें। 
इसी कड़ी में कश्मीर के पर्यटन विभाग ने हाल ही में ट्रैवल एजेंट सोसायटी ऑफ कश्मीर के साथ मिलकर इंदौर में एक सेमिनार का आयोजन किया था। इस मौके पर कश्मीर पर्यटन विभाग के निदेशक मेहमूद अहमद शाह ने वेबदुनिया से विशेष बातचीत में बताया कि हम मध्यप्रदेश और देश के लोगों को बताना चाहते हैं कि कश्मीर पूरी तरह सुरक्षित है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी हमने काफी काम किया है। 
 
शाह ने कहा कि 104 साल बाद आए सैलाब की वजह से कश्मीर को काफी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन अब चीजें पूरी तरह ठीक हो गई हैं। शुरू के दो तीन महीने पर्यटकों की संख्‍या घटी थी, लेकिन 2015 में सब कुछ पहले जैसा ही हो गया। देशी-विदेशी पर्यटक आइस स्कीइंग के लिए हेलीकॉप्टर से आ रहे हैं। अब हमारे पास अप्रैल तक की बुकिंग है। वैष्णोदेवी में श्रद्धालुओं की संख्‍या बढ़ी है। हमारे पास गुलमर्ग में सबसे ऊंचा और यूनिक गंडोला है। घाटी में हर मौसम में बर्फ देखी जा सकती है।
सबसे पुराना टूरिज्म डेस्टिनेशन : शाह कहते हैं कि कश्मीर काफी पुराना पर्यटन स्थल है। ईसा से 300 वर्ष पहले यहां बौद्ध कौंसिल का आयोजन हुआ था। इसके अलावा घाटी में सबसे पुराना सूर्य मंदिर है साथ ही जम्मू क्षेत्र में कई इलाके ऐसे हैं जिनका संबंध महाभारत काल से है। पर्यटन हमें विरासत में मिला है। लोगों का रोजगार भी इसी से जुड़ा है। कश्मीर में उद्योग नहीं लगाए जा सकते, नदी-नाले खराब नहीं कर सकते। पर्यटन के अलावा हैंडीक्राफ्‍ट और हार्टीकल्चर के जरिए लोग रोजगार जुटाते हैं। इससे यहां पर्यावरण भी खराब नहीं होता। इसलिए हमारा पूरा ध्यान पर्यटन पर है। 
 
हालांकि शाह मानते हैं कि आतंकवाद और गोला-बारूद के कारण पर्यटन को काफी नुकसान पहुंचा साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हुआ। 90 का दशक सबसे ज्यादा खराब रहा। धरती के स्वर्ग को किसी की नजर लग लग गई। 10-15 साल हालात खराब रहे, मगर अब वह दौर इतिहास बन चुका है। हालात सुधरे हैं। 
लौट रहा है 70 का दशक : हिन्दी सिनेमा उद्योग से जुड़े एक सवाल पर शाह कहते हैं कि बॉलीवुड का कश्मीर कनेक्शन फिर से जुड़ रहा है। एक बार फिर 70 के दशक की स्थिति लौट रही है। बॉलीवुड को लेकर उत्साहित शाह कहते हैं कि हाल ही में कश्मीर में जिन फिल्मों की शूटिंग हुई वे हिट रही हैं। अपनी बात की पुष्टि के लिए वे 'बजरंगी भाईजान' और 'हैदर' का नाम बताना भी नहीं भूलते।
 
वे इस बात को भी स्वीकारते हैं कि '3 इडियट्‍स' के बाद लद्दाख में आश्चर्यजनक रूप से पर्यटन बढ़ा। पेंगोंग झील को देखने के लिए लोग वहां पहुंच रहे हैं। कश्मीर में यातायात के साधनों की बात पर वे कहते हैं कि यूं तो टूरिस्ट टैक्सियां हजारों की तादाद में हैं, लेकिन हमने निजी क्षेत्र से सहयोग से पर्यटकों की सुविधा के लिए लक्जरी गाड़ियां भी लगाई हैं।
अमरनाथ यात्रा और अलगाववादी : अमरनाथ यात्रा से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में शाह ने कहा कि अलगाववादियों के बोलने से क्या होता है। यात्रा में कभी विघ्न नहीं पड़ा और न ही भविष्य में पड़ेगा। श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर हमेशा आते रहेंगे। हमने अमरनाथ यात्रियों का हमेशा इस्तकबाल किया और आगे भी करेंगे। 
 
जब उन्हें इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया कि जीजस की कब्र पहलगांव में है तो शाह ने 'जीजस इन कश्मीर' नामक पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि जीजस की कब्र कश्मीर में है। उन्होंने कहा कि पहलगांव में मूसा साहब की कब्र है। एक ग्लेशियर को भी मूसा की कब्र के नाम से जाना जाता है। हालांकि इनके कोई सबूत नहीं है।गौरतलब है कि पहलगांव का कश्मीरी में अर्थ 'गड़रिए' का गांव में होता है।