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Last Updated : सोमवार, 4 जनवरी 2016 (15:33 IST)

क्रिकेट में सट्‍टेबाजी वैध हो, लोढा समिति की सिफारिश

न्यायमूर्ति आरएम लोढा समिति ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट

क्रिकेट में सट्‍टेबाजी वैध हो, लोढा समिति की सिफारिश - justice RM lodha committee BCCI IPL
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय से नियुक्त लोढा समिति ने आज विवादों से घिरे बीसीसीआई के लिए आमूलचूल बदलावों की सिफारिश की, जिनमें मंत्रियों को पद हासिल करने से रोकना, पदाधिकारियों के लिए उम्र और कार्यकाल की समयसीमा का निर्धारण और सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देना भी शामिल है। 
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आरएम लोढा की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय पैनल ने कठोर सुधारों की श्रृंखला में सुझाव दिया है कि एक राज्य का प्रतिनिधित्व केवल एक इकाई करेगी जबकि संस्थानिक और शहर आधारित इकाईयों के मतदान अधिकार वापस लेने की सिफारिश की है। समिति ने बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे के भी पुनर्गठन का सुझाव दिया है और सीईओ के पद का प्रस्ताव रखा है जो नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद के प्रति जवाबदेह होगा। 
 
उच्चतम न्यायालय में 159 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोढा  ने कहा कि उन्होंने बोर्ड अधिकारियों, क्रिकेटरों और अन्य हितधारकों के साथ 38 बैठकें की। उच्चतम न्यायालय यह फैसला करेगा कि बीसीसीआई इन सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य है या नहीं। 
 
लोढा ने सिफारिशों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा, ‘पहली बात ढांचे और संविधान को लेकर है। अभी आप जानते हेकि बीसीसीआई के 30 पूर्णकालिक सदस्य हैं। इनमें से कुछ सदस्यों जैसे सेना, रेलवे आदि का कोई क्षेत्र नहीं है। इनमें से कुछ टूर्नामेंट में नहीं खेलते। कुछ राज्यों में कई सदस्य हैं जैसे कि महाराष्ट्र में तीन और गुजरात में तीन सदस्य है। हमने जो बातचीत की उनमें से कुछ को छोड़कर बाकी सभी इस पर सहमत थे कि बीसीसीआई में एक राज्य से एक इकाई का प्रतिनिधित्व सही विचार होगा।’
 
पैनल ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये इस संस्था को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लाना जरूरी है। बोर्ड अपनी स्वायत्ता का हवाला देकर पूर्व में इसका पुरजोर विरोध करता रहा है। 
 
न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘चूंकि बीसीसीआई सार्वजनिक कार्यों से जुड़ा है, इसलिए लोगों को इसक कामकाज और सुविधाओं तथा अन्य गतिविधियों के बारे में जानने का अधिकार है और इसलिए हमारा विचार है कि क्या बीसीसीआई पर आरटीआई अधिनियम लागू होता है या आरटीआई के अधीन आता है यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। हमने सिफारिश की है कि विधायिका को बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाने के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए।’
 
बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिए आयु और कार्यकाल की समयसीमा तय हो..अगले पन्ने पर 

बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिए आयु और कार्यकाल की समयसीमा तय करने के बारे में समिति ने कहा कि बोर्ड के सदस्यों को तीन कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रहना चाहिए। न्यायमूर्ति लोढा ने कहा कि अध्यक्ष तीन साल के दो कार्यकाल में रह सकता है कि लेकिन अन्य पदाधिकारी तीन कार्यकाल तक रह सकते हैं। सभी पदाधिकारियों के लिये प्रत्येक कार्यकाल के बीच अंतर अनिवार्य होगा। 
 
लोढा ने कहा, ‘बीसीसीआई के पदाधिकारियों के संबंध में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के लिए कुछ पात्रता मानदंड तय किए गए हैं जैसे कि वह भारतीय होना चाहिए, वह 70 साल से अधिक उम्र का नहीं होना चाहिए, वह दिवालिया नहीं होना चाहिए, वह मंत्री या सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए और जिसने नौ साल की संचयी अवधि के लिये बीसीसीआई में कोई पद नहीं संभाला हो।’
 
बीसीसीआई के संवैधानिक ढांचे में प्रस्तावित सुधारों के हिस्से के रूप में पैनल ने कहा कि बोर्ड के हर दिन के कामकाज को एक सीईओ को देखना चाहिए। पैनल ने कहा कि खिलाड़ियों का संघ भी होना चाहिए जिससे बोर्ड के कामकाज में खिलाड़ी भी अपनी बात रख सकें।

न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘बीसीसीआई के एक लिए एक सर्वोच्च परिषद होनी चाहिए, जिसमें नौ सदस्य हों। इनमें से पांच सदस्य निर्वाचित, दो खिलाड़ी संघ के प्रतिनिधि और एक महिला होनी चाहिए। बीसीसीआई के दैनंदिनी प्रबंधन को सीईओ देखेगा। उनकी मदद के लिये छह पेशेवर प्रबंधक होंगे तथा सीईओ और प्रबंधकों की टीम सर्वोच्च परिषद के प्रति जवाबदेह होगी।’ 
 
लोढा ने कहा कि खिलाड़ियों के संघ का गठन एक संचालन समिति करेगी, जिसकी अगुवाई पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई करेंगै और इसमें पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ और अनिल कुंबले तथा पूर्व महिला क्रिकेटर डायना एडुल्जी शामिल होंगे। समिति ने कहा कि खिलाड़ियों के संघ में उन सभी को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेली हो।’ 
 
उन्होंने कहा कि खिलाड़ी संघ महज नाम के लिए नहीं होगा और वह यह सुनिश्चित करेगा कि वर्तमान और पूर्व क्रिकेटर बोर्ड में अपनी बात रख सकें। आईपीएल, जो कि 2013 के स्पॉट फिक्सिंग मामले के सामने आने के बाद साख के संकट से जूझ रहा है, के बारे में पैनल ने इसकी संचालन परिषद में बदलावों की सिफारिश की है। 
 
न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘आईपीएल के संदर्भ में सिफारिश यह है कि मुख्य संचालन संस्था को संचालन परिषद के रूप में जाना जाएगा जिसमें नौ सदस्य होंगे। बीसीसीआई के सचिव और कोषाध्यक्ष इस आईपीएल संचालन परिषद के पदेन सदस्य होंगे।’ आईपीएल संचालन परिषद के दो अन्य सदस्य पूर्ण सदस्यों द्वारा नामित-निर्वाचित होंगे। बाकी पांच सदस्यों में से दो फ्रेंचाइजी द्वारा नामित, एक खिलाड़ी संघ का प्रतिनिधि और एक प्रतिनिधि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से नामित होगा।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘आईपीएल से संबंधित सभी फैसले आईपीएल संचालन परिषद करेगी, जिसमें वित्तीय मसलों से जुड़े फैसले भी शामिल हैं। हालांकि संचालन परिषद बीसीसीआई की आम सभा के प्रति जवादेह होगी। इसलिए आईपीएल संचालन परिषद के लिए सीमित स्वायत्ता की पेशकश की गई है।’ 
 
समिति ने इसके साथ ही सिफारिश की कि एक व्यक्ति एक समय में बीसीसीआई पदाधिकारी और राज्य संघ का पदाधिकारी दोनों पदों पर आसीन नहीं हो सकता है।