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Last Modified: बुधवार, 15 अप्रैल 2015 (21:50 IST)

'जनता परिवार' : टूटने और जुड़ने का सफर

'जनता परिवार' : टूटने और जुड़ने का सफर - Janta Pariwar
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायमसिंह यादव के नेतृत्व में छह दल 'जनता परिवार' के रूप में एकजुट हो गए हैं। हालांकि यह गठजोड़ कितने दिन चलेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन जनता परिवार के जुड़ने और टूटने की कहानी भी कम रोचक नहीं है।
1963 : डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने पहली बार गैरकांग्रेसवाद का नारा दिया था। लोहिया के उस नारे ने तब के समाजवादी परिवार को बड़ी संजीवनी दी।
 
1967 के विधानसभा चुनावों में नौ राज्यों में गैरकांग्रेसी सरकारें बनीं, जिनकी अगुआई समाजवादी परिवार को ही मिली।
 
1977 : आपातकाल के बाद जनता परिवार भी एक हुआ। उस दौरान तब जनता परिवार में आज की भाजपा का पूर्व रूप जनसंघ भी शामिल था। इस एकता ने फिर इतिहास बनाया। इंदिरा की सर्वशक्ति सत्ता को भी उखाड़ फेंका गया।
 
1987 : कांग्रेस के विश्‍वनाथ प्रताप सिंह ने राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स तोप सौदे में हुए कथित भ्रष्‍टाचार पर आवाज उठाई। और फिर एक बार शुरू हुई जनता परिवार को एकजुट करने की कवायद। 
 
1988 : जनता पार्टी के धड़ों, लोकदल और कांग्रेस (एस) ने लोक मोर्चा के साथ मिलकर जनता दल का गठन किया गया।
 
1989 : आम चुनाव में कांग्रेस के बाद जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनी। विश्‍वनाथ प्रताप सिंह जनता दल के नेता और प्रधानमंत्री बने।
  
1990 : विश्‍वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार भाजपा के समर्थन वापस लेने से गिर गई। इसी वर्ष चंद्रशेखर ने जनता दल के लगभग 60 सांसदों को साथ लेकर समाजवादी जनता पार्टी बनाई।
 
1992 : मुलायम सिंह यादव ने चंद्रशेखर के नेतृत्‍व वाली समाजवादी पार्टी से टूटकर समाजवादी पार्टी बनाई।
  
1994 : लालू प्रसाद यादव के विरोध में नीतीश कुमार और दूसरे नेताओं ने समता पार्टी बनाई। 
 
1997 : लालू यादव ने राष्‍ट्रीय जनता दल का गठन किया।
 
1999 : जनता दल से टूटकर एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्‍व में जनता दल (सेक्‍यूलर) बना। 
 
2003 : तत्‍कालीन समता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के विलय के बाद शरद यादव के नेतृत्‍व में जनता दल यूनाइटेड बनी।
 
2015 : छह दलों का विलय कर एक दल बनाने का फैसला।