शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Jammu kashmir Governor Satyapal malik
Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: रविवार, 28 अक्टूबर 2018 (18:25 IST)

राज्यपाल के रहस्योदघाटनों के बाद जम्मू कश्मीर में राजनीतिक भूचाल

राज्यपाल के रहस्योदघाटनों के बाद जम्मू कश्मीर में राजनीतिक भूचाल - Jammu kashmir Governor Satyapal malik
श्रीनगर। राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा जम्मू कश्मीर में जारी भ्रष्टाचार के मामलों में किए जाने वाले रहस्योदघाटनों ने राजनीतिक गलियारों में खासकर भूचाल ला खड़ा किया है।
 
एक टीवी इंटरव्यू में उनके द्वारा किए गए रहस्योदघाटनों के बाद राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि जनता भी उन भ्रष्टाचारी नेताओं व अफसरों के नामों को सार्वजनिक करने की मांग करने लगी है जिनकी ओर सत्यपाल मलिक ने इशारा किया था तथा भ्रष्टाचार के कई मामलों में लिप्त होने के आरोप आन द रिकार्ड लगाए हैं।
 
एक नेशनल टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर में फैले हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था। उन्होंने तत्कालीन पीडीपी-भाजपा सरकार के कई मंत्रियों पर लांछन लगाते हुए कहा था कि उन्होंने जम्मू कश्मीर बैंक में भर्ती किए जाने के मामलों तक में टांग अड़ाई थी और 600 के करीब अपने चहेतों के नाम उस समय चयन सूची में शामिल कर लिए थे जब चयन सूची निकलने में मात्र कुछ घंटों का समय रह गया था।
 
हालांकि महबूबा सरकार में वित्त मंत्री रहे तथा कई सालों तक जम्मू कश्मीर बैंक के चेयरमेन पद पर रहने वाले राजनीतिज्ञ हसीब द्राबू ने राज्यपाल से ऐसे राजनीतिज्ञों के नाम उजागर करने की चुनौती दी है जिनके इशारों पर ऐसा हुआ था। उन्होंने यह चुनौती एक ट्वीट द्वारा दी है। याद रहे द्राबू को पीडीपी से बाहर किया जा चुका है।
 
यही नहीं राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक और बड़ा आरोप जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन पर लगाया था जिसमें कहा गया था कि उसने एक उम्मीदवार को बिना परीक्षा के ही केएएस के पद की नौकरी दे दी थी क्योंकि वह राजनीतिज्ञों का चहेता था।
 
इस पर जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमेन लतीफ-उ-जमान देवा ने राज्यपाल मलिक के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उनके आरोप में कतई सच्चाई नहीं है। वे कहते हैं कि कमीशन की चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होती है और ऐसा होने का कोई स्कोप तक नहीं है। पर लोग देवा के कथन पर विश्वास  करने को तैयार नहीं हैं।
 
राज्यपाल ने राज्य में भ्रष्टाचार के कई और मामलों को भी उजागर किया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर बैंक के वर्तमान चेयरमेन पर भी आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने संबंधी को कम्पनी सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया था जबकि वह इसके काबिल नहीं था। मलिक के बकौल, कई आतंकी पृष्ठभूमि के युवकों को राजनीतिज्ञों की मिलीभगत से अध्यापकों के पदों पर नियुक्त कर दिया गया है जो स्कूलों में अलगाववाद का पाठ पढ़ा रहे हैं।
 
अगर राज्यपाल मलिक की मानें तो जम्मू कश्मीर सरकार के 7 लाख कर्मचारियों के लिए ग्रुप मेडीक्लेम पालिसी के लिए भी 100 करोड़ की रिश्वत दी गई थी और यह पालिसी रिलांयस ग्रुप से ली गई थी। हालांकि अब इस टेंडर को रद्द कर दिया गया है पर भ्रष्टाचारी अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने नहीं आने से पब्लिक में जबरदस्त रोष है।
 
स्थिति यह है कि राज्यपाल मलिक द्वारा भ्रष्टाचार के इतने सारे रहस्योदघाटन करने के कारण राजनीतिक हल्कों में हलचल मची हुई है और नागरिक तत्कालीन पीडीपी-भाजपा के प्रत्येक नेता को संदेह की दृष्टि से देखने लगी है। यह बात अलग है कि राज्यपाल मलिक द्वारा किए गए ऐसे रहस्योदघाटनों पर फिलहाल पीडीपी तथा भाजपा के नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है पर नेकां के प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ऐसे चेहरों को बेनकाब करने की मांग करने लगे हैं।
 
राज्यपाल मलिक द्वारा जम्मू कश्मीर के राजनीतिक हल्कों में लाए गए इस तूफान का अंत क्या होगा कोई नहीं जानता लेकिन इतना निश्चित है कि आने वाले दिनों में कई वरिष्ठ अधिकारी नपेंगें जरूर पर राजनीतिज्ञों के खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा, यह यक्ष प्रश्न है।