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Written By Author सुरेश डुग्गर

शर्मनाक! कश्मीर में कैलेंडर पर बुरहान वानी

शर्मनाक! कश्मीर में कैलेंडर पर बुरहान वानी - Jammu and Kashmir calendar, terrorism, terrorist, Burhani Wani
जम्मू। अभी तक कश्मीर के लोग हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस के हड़ताली कैलेंडर से परेशान थे कि अब छिड़े हुए नए 'कैलेंडर वार' ने उन्हें परेशान कर दिया है। यह कैलेंडर वार इस बार वर्ष 2017 के कैलेंडर छापने है और उन पर छापे जाने वाले चित्रों को लेकर है जिसे लेकर हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस और अन्य पार्टियां आमने-सामने हैं।
 
दरअसल, यह जंग उस समय आरंभ हुई थी जब जम्मू-कश्मीर बैंक ने हर वर्ष की भांति इस बार भी अपने ग्राहकों को बांटे जाने वाले कैलेंडरों पर नया प्रयोग करते हुए इस बार राज्य की उन 12 हस्तियों को जगह दी जिन्होंने देश-विदेश में विभिन्न कलाओं में नाम कमाया है। इनमें किक बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल जीतने वाली तजामुल इस्लाम, सितार वादक अभय सोपोरी, डॉ. राउफ बांडे, कराटे किड हाशिम मंसूर समेत करीब 12 हस्तियों को जगह देते हुए उनके फोटो भी प्रकाशित किए और उनके बारे में लिखा भी।
 
पर यह हुर्रियत नेताओं को नहीं भाया। नतीजा सामने है। कश्मीर के मार्केट में एक नया कैलेंडर सामने आ गया। पैटर्न था उसका भी जेके बैंक के कैलेंडर की ही तरह, पर फोटो अलग थे। इन पर कला-संस्कृति आदि में नाम कमाने वालों के फोटो नहीं थे बल्कि अफजल गुरु से लेकर बुरहान वानी के साथ-साथ विभिन्न आतंकी गतिविधियों में मारे जाने वाले आतंकी नेताओं के फोटो थे जिन्हें कश्मीर का नेता बताया गया था।
 
कैलेंडर वार यहीं पर खत्म नहीं हो रहा है, यह जारी है। देखादेखी लापता कश्मीरियों की तलाश के लिए गठित संगठन एपीडीपी ने भी अपना कैलेंडर जारी किया। उन पर 27 सालों के भीतर लापता हुए कश्मीरियों की तस्वीरें छापी गई थीं। तो कई व्यापारिक संगठनों ने भी अपने-अपने जो कैलेंडर इस बार छापे उनमें से अधिकतर में हिज्बुल मुजाहिदीन के उस कमांडर बुरहान वानी की तस्वीर प्रमुखता से छपी थी जिसकी मौत के बाद 6 महीनों से कश्मीर कराह रहा है।
 
कैलेंडर वार का रोचक पहलू यह है कि जेके बैंक के कैलेंडर को लोग अपनों घरों में सरकारी तथा बैंक की छुट्टियों को जानने के लिए लगाते हैं, पर हुर्रियत के कैलेंडर को जबरदस्ती लोगों के घरों में लगाया जा रहा है, साथ ही हिदायत दी जा रही है कि हुर्रियत द्वारा छापे गए कैलेंडरों को उतारा नहीं जाएगा ताकि कश्मीरियों को यह याद रहे कि जिन आतंकी नेताओं की तस्वीरें इन कैलेंडरों पर छापी गई हैं उन्होंने कश्मीरियों की आजादी के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं।
 
हुर्रियत तथा कुछ अन्य लोगों द्वारा छापे गए कैलेंडरों के बारे में फिलहाल पुलिस तथा प्रशासन खामोश है। उनका कहना था कि लोगों को आतंकियों के फोटो कैलेंडरों पर छापने से रोकने का कोई कानून उनके पास नहीं है, क्योंकि जिन आतंकियों के फोटो छापे गए हैं, वे सभी मारे जा चुके हैं।

नोट : हम नहीं चाहते कि आतंकवादी बुरहान वानी के चेहरे को देश के लोगों को दिखाया जाए। इसलिए इसको धुंधला कर दिया है। हमें उम्मीद है कि जिस तरह खादी ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर पर छपे मोदी के फोटो का देशभर में विरोध हुआ था, उम्मीद है आतंकवादी के खिलाफ भी देश से इसी तरह की आवाजें उठेंगी। दुर्भाग्य से कश्मीर घाटी में एक महिलाओं के लिए एक चेहरा बनकर जायरा वसीम का विरोध किया जाता है और खून बहाने वाला आतंकवादी कैलेंडर में जगह पाता जाता है। वाकई शर्मनाक है यह।