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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: श्रीनगर , सोमवार, 24 नवंबर 2014 (17:43 IST)

जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के दावे

जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के दावे - Jammu and Kashmir assembly elections
श्रीनगर। अबकी बार जम्मू-कश्मीर में किसकी सरकार होगी? पहले चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर अनेक दावे हैं। कहीं गठबंधन सरकार के दावे हैं तो कहीं बहुमत हासिल कर अपने दम पर सरकार बनाने के। जबकि सच्चाई यह है कि यह कल (मंगलवार) के पहले चरण के मतदान के बाद ही पता चल पाएगा कि किस दल में कितना दम है।
 
राज्य में विधानसभा चुनाव परिणाम से पहले ही सभी बड़े राजनीतिक दल जीत के दावे कर रहे हैं। सभी राजनीतिक दल खुद को इसमें सक्षम मानते हैं कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में वे बहुमत हासिल करेंगे और सरकार बना पाएंगे, पर राजनीतिक पंडितों का तर्क कुछ और ही है।
 
राज्य की सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी पर निशाना साधते हुए दावा किया कि  भाजपा को कश्मीर से मुठ्ठीभर वोट मिलेंगे। राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला नेशनल कांफ्रेंस को  इस काबिल बताते हैं कि वह इस विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर लेगी। उमर के अनुसार वे  हैरान होंगे अगर घाटी के लोग भाजपा को वोट देंगे।
 
राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का दावा है कि जम्मू-कश्मीर  में मोदी लहर नहीं, बल्कि पीडीपी की लहर हैं। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने तो 45 से 50  सीटों पर जीत हासिल करने का दावा तक कर दिया। महबूबा के अनुसार हर जगह उनकी पार्टी की  हरियाली दिखती है। वह घाटी में 39 और जम्मू में 11 सीटों को जीतेगी।
 
कांग्रेस भी राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने के दावे करने में जुट गई है। हालांकि कांग्रेस कश्मीर  के कुछ ही चुनावी क्षेत्रों में जनाधार रखती हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और प्रमुख कांग्रेस नेता  गुलाम नबी आजाद का कहना कि कांग्रेस राज्य में सरकार बनाएगी। साथ ही साथ उनका यह भी  कहना है कि लोग कांग्रेस के उम्मीदवारों को ही वोट देंगे।
 
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर राज्य में 1972 में कांग्रेस, 1977 में नेशनल कांफ्रेंस, 1983 में  नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन, 1987 में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन, 1996 में  नेशनल कांफ्रेंस, 2002 में पीडीपी और कांग्रेस गठबंधन, 2008 में पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन,  2009 नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी थी।
 
राजनीतिक पंडितों के अनुसार राज्य में कोई भी राजनीतिक दल बहुमत से जीत नहीं सकता।  विश्लेषकों के अनुसार राज्य 3 हिस्सों में बंटा हैं और तीनों में अलग-अलग राजनीति भी चलती है।  किसी राजनीतिक दल का जनाधार घाटी में है, तो जम्मू में नहीं है। इसी तरह अगर जम्मू में उस  राजनीतिक दल का जनाधार है तो घाटी और लद्दाख में नहीं है।
 
इससे यह साफ है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आने वाले समय में भी गठबंधन की सरकार ही  देखने को मिलेगी और यह गठबंधन किस-किस का होगा? 23 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणाम  ही बता पाएंगे।