भारतीय सैनिकों की हत्या में पाकिस्तान का हाथ, मिले सबूत
नई दिल्ली। भारत ने बुधवार को कहा कि उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि जम्मू कश्मीर के कृष्णा घाटी सेक्टर में भारतीय जवानों की हत्या एवं अंगभंग करने में पाकिस्तान सेना की संलिप्तता थी। भारत ने मांग की है कि पाकिस्तान इस घटना के लिए जिम्मेदार सेना के अधिकारियों एवं कमांडरों के विरुद्ध कार्रवाई करे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने यहां नियमित ब्रीफिंग में सवालों के जवाब में कहा कि शहीद भारतीय जवानों के खून के निशान नियंत्रण रेखा तक गए हैं और रोज़ा नाला के पास खून के निशान से साफ जाहिर है कि हत्या करने वाले पाकिस्तान के कब्ज़े वाले इलाके में लौटे हैं।
बागले ने कहा कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को विदेश सचिव एस. जयशंकर ने तलब किया था और उन्हें भारतीय जवानों की पाकिस्तान की सेना के सिपाहियों द्वारा हत्या एवं अंगभंग करने को लेकर भारत के आक्रोश को व्यक्त किया और कहा कि यह हरकत सभ्यता के किसी भी मानदंड के अनुरूप नहीं है और यह घोर उकसावे की कार्रवाई है। भारत ने मांग की है कि पाकिस्तान इस घटना के लिए जिम्मेदार सेना के अधिकारियों एवं कमांडरों के विरुद्ध कार्रवाई करे।
उन्होंने बताया कि विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को साफ तौर पर बताया कि इस घटना में पाकिस्तानी फौज के लोग शामिल थे और भारत के पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं। हालांकि बासित ने पाकिस्तानी सेना की भूमिका से साफ तौर से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह भारत सरकार की भावनाओं को इस्लामाबाद में अपनी सरकार तक पहुंचा देंगे।
विश्व कूटनीतिक मंच पर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर उसे अलग-थलग करने की रणनीति के कारगर नहीं रहने के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि ये जगजाहिर है कि हम दशकों से सीमा पार आतंकवाद के शिकार रहे हैं।
सरकार ने पठानकोट, उड़ी आदि हमलों के बाद हमारी नीति में बदलाव आए हैं और उसके परिणामस्वरूप दुनिया ने हमारे इस पक्ष का समर्थन किया है कि आतंकवाद विश्व के समक्ष एक गंभीर खतरा है और इसे पनाह देने के ठिकानों पर एकजुटता से कार्रवाई की जानी चाहिए। दुनिया ने समझ लिया है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, हम पर थोप रहा है और उसकी गतिविधियों में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन इस स्थिति को रोका जाना चाहिए।
सिंधु जल संधि को लेकर मार्च में पाकिस्तान में हुई बैठक के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि यह संधि की शर्तों के अनुरूप हुई थी। पाकिस्तान को व्यापार में सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र के दर्जे के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के दायित्व के तहत ही पाकिस्तान को यह दर्जा मिला हुआ है।
पाकिस्तान के 47 स्कूली बच्चों को वापस भेजे जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने माना कि इन बच्चों को एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आमंत्रित किया गया था और ये उसी दिन भारत आए जिस दिन कृष्णा घाटी वाली घटना हुई। इसलिए विदेश मंत्रालय ने गैर सरकारी संगठन को सलाह दी थी कि बच्चों की यात्रा का यह उपयुक्त समय नहीं है। (वार्ता)