लंगर पर जीएसटी से गुरुद्वारा अधिकारी नाराज
नई दिल्ली। भाजपा सरकार के शासन में देश में 450 वर्षों में पहली बार गुरुद्वारों में होने वाले लंगरों पर जीएसटी टैक्स लगा दिया गया है। यूपी के पूर्व मंत्री और एमएलसी बलवंत सिंह रामूवालिया ने सरकार से आग्रह किया है कि वे तत्काल प्रभाव से देश के गुरुद्वारों द्वारा दिए जाने वाले लंगर से जीएसटी हटा लें। विदित हो कि देशभर में मौजूद सिख संगठन, केंद्र सरकार द्वारा लंगर पर लगाए गए जीएसटी का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने सरकार से मांग की है कि सरकार जल्द ही लंगर पर लगाए गए जीएसटी के आदेश को वापस ले। इससे पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर और अन्य सिख धार्मिक स्थलों में मौजूद मुफ्त रसोईघर द्वारा लोगों में बांटे जाने वाले लंगर के लिए जीएसटी में छूट दी जाए।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने एक प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा, 'गुरुद्वारों के 450 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि लंगर सेवा पर टैक्स लगाया गया है।' लंगर पर जीएसटी लगाने के फैसले से सिख समुदाय बहुत ही उत्तेजित हैं। रामूवालिया ने दावा किया है कि 31 दिसंबर, 2017 तक केंद्र द्वारा गुरुद्वारों से दो करोड़ रुपए वसूला जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि लंगर में बांटे जाने वाले खाने पर जीएसटी नहीं लगाई गई है बल्कि भोजन बनाने के लिए खरीदी जाने वाली सामग्री पर जीएसटी लगाई गई है। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अनुसार 14 अप्रैल को सभी गुरुद्वारों में लंगर से जीएसटी हटाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा और इसे बाद में केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।