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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 4 मार्च 2015 (10:47 IST)

दिल्‍ली गैंगरेप के दोषी के साक्षात्कार पर मचा कोहराम

दिल्‍ली गैंगरेप के दोषी के साक्षात्कार पर मचा कोहराम - Gang rap
नई दिल्ली। ब्रिटेन की एक फिल्म निर्माता द्वारा 16 दिसम्बर के सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी के साक्षात्कार को लेकर  विवाद उत्पन्न हो गया। इसके साथ ही सरकार ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए तिहाड़ जेल के अधिकारियों से जवाब-तलब किया है।

साक्षात्कार में दोषी को सामूहिक बलात्कार जैसे दुष्कर्म पर कोई पछतावा नहीं है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने इस साक्षात्कार को प्रसारित व प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने का आदेश हासिल किया। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी समाचार चैनलों से मुजरिम के साक्षात्कार से जुड़ी खबरें प्रसारित नहीं करने के लिए परामर्श जारी किया है।
16 दिसम्बर 2012 सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के अभिभावकों ने मुकेश सिंह द्वारा साक्षात्कार में की गई टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है, जिसमें दोषी ने भयावह घटना के लिए उनकी बेटी को जिम्मेदार बताया है। अभिभावकों ने इसे शर्मनाक बताया और उसे फांसी पर लटकाने की मांग की।
 
फिल्म निर्माता लेस्ली उडविन ने कहा कि फिल्म में उन्होंने महिलाओं के प्रति पुरुषों के नजरिए का रुख देखने का प्रयास किया है और इसमें कुछ भी सनसनीखेज नहीं है। उडविन ने दावा किया कि बीबीसी के लिए जेल में मुकेश का साक्षात्कार करने से पहले उन्होंने तिहाड़ जेल की तत्कालीन निदेशक विमला मेहरा से अनुमति ली थी।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हिरासत में दोषी के साक्षात्कार की घटना को काफी ‘गंभीर’ मानते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तिहाड़ जेल के निदेशक आलोक कुमार वर्मा से बात की और इस पर तुरंत विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा।
 
सूत्रों ने कहा कि टेलीफोन पर हुई वार्ता के दौरान जेल महानिदेशक ने गृहमंत्री को घटना और अब तक की गई कार्रवाई के बारे में बताया। 23 वर्षीय लड़की से जघन्य बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाए मुकेश ने साक्षात्कार में कहा कि रात में बाहर निकलने वाली महिलाएं अगर दुराचारी पुरुषों के गिरोह का ध्यान आकर्षित करती हैं तो इसके लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैं।
 
उसने कहा, ‘बलात्कार के लिए लड़के से कहीं ज्यादा लड़की जिम्मेदार है।’ मुकेश ने यह भी कहा कि अगर लड़की और उसके दोस्त ने प्रतिरोध नहीं किया होता तो गिरोह ने उसे गहरे जख्म नहीं दिए होते, जिस कारण बाद में उसकी मौत हो गई।
 
हत्या को ‘दुर्घटना’ करार देते हुए उसने कहा था, ‘जब उससे बलात्कार हो रहा था तो उसे प्रतिरोध नहीं करना चाहिए था। उसे चुप रहना चाहिए था और बलात्कार होने देना चाहिए था। उसके बाद वे उसे कहीं उतार देते और लड़के की केवल पिटाई करते।’ उडविन ने दावा किया कि ‘इंडियाज डॉटर’ में दिल्ली सामूहिक बलात्कार घटना की कहानी को दोषियों और पीड़िता के अभिभावकों के नजरिए से पेश किया गया है।
 
फिल्म निर्माता ने लोगों से अपील की कि फिल्म के बारे में कोई पूर्व धारणा नहीं बनाएं जिसका आठ मार्च को भारत में एनडीटीवी पर प्रीमियर होगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘फिल्म के अंत में पूरी दुनिया के आंकड़े को एक-एक देश के आंकड़े के मुताबिक पेश किया गया है। बलात्कार भारतीय समस्या नहीं है। यह वैश्विक समस्या है।’ 
 
तिहाड़ जेल में मुकेश के साक्षात्कार को अनुमति देने को लेकर छिड़े विवाद पर उन्होंने कहा, ‘मैंने तिहाड़ के महानिदेशक को पत्र लिखा। तिहाड़ के महानिदेशक को गृह मंत्रालय से सलाह करनी पड़ी। मैंने मई 2013 में अनुमति के लिए आवेदन दिया था और दो हफ्ते में मुझे अनुमति मिल गई।’ 
 
यह पूछने पर कि उन्होंने दोषी को क्यों प्लेटफॉर्म दिया तो लेस्ली ने कहा, ‘यह बड़ा शर्मनाक है। भारतीय मीडिया को उसी चीज को उजागर करना चाहिए जो उनके दिमाग में चल रहा है। आपको यह तब तक दोहराते रहना होगा जब तक कि यह बंद नहीं हो जाए और बदलाव नहीं आ जाए।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘क्या आप चाहते हैं चीजें बदलें.. आप क्यों विरोध करते हैं? मैंने लड़की के अभिभावकों को प्लेटफॉर्म क्यों दिया? फिल्म में मानसिकता और लैंगिक असमानता के मुद्दे पर जोर दिया गया है। 
 
फिल्म में महिलाओं के प्रति नजरिए को दिखाया गया है।’ उडविन ने कहा, ‘फिल्म का समापन पूरी दुनिया में हर राष्ट्र के आंकड़े के साथ होता है। बलात्कार भारतीय समस्या नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है।’
 
पीड़िता के अभिभावकों ने कहा कि महिलाओं को रात में बाहर नहीं निकलना चाहिए, इस मानसिकता के कारण महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी की छात्रा की मां ने टेलीफोन पर बताया कि उनकी बेटी के गुनहगार मुकेश का बयान बेहद शर्मनाक और कानून का मजाक उड़ाने वाला है। यह कानूनी प्रक्रिया के लचीलेपन का नतीजा है कि जेल में बंद होने के बाद भी मुजरिम अपनी घिनौनी हरकत को उचित ठहराने की कोशिश कर रहा है।
 
उन्होंने कहा कि अगर आरोपियों को मिली सजा पर जल्द अमल हो जाता तो मुकेश ऐसी बात कहने की हिम्मत नहीं कर पाता। साथ ही, लड़कियों तथा महिलाओं से होने वाली खौफनाक घटनाओं पर भी रोक लगाने में मदद मिलती।
 
पीड़िता के पिता ने भी मुकेश के बयान का विरोध किया और कहा कि उसने न केवल उनकी बेटी पर सवाल उठाया है बल्कि पूरे समाज पर सवाल खड़ा किया है।
 
उन्होंने कहा, ‘हम किसी को दंडित नहीं कर सकते। अगर मुझे दंडित करना होता तो मैं उन्हें वही सजा देता जो उन्होंने मेरी बेटी को दी लेकिन उनके भाग्य का निर्णय कानून करेगा। 
 
उन्होंने कहा, यह केवल मेरी बेटी के बारे में नहीं है, अपने बयान से उसने हमारे समाज पर सवाल खड़ा किया है। अगर उसे फांसी नहीं दी जाती है तो कोई भी किसी महिला से बलात्कार करेगा जो देश के भविष्य के लिए खतरा है। मैं सरकार से संपर्क कर उसे फांसी पर लटकाने की अपील करूंगा।’ 
 
सामूहिक बलात्कार के दोषियों के एक वकील एपी सिंह ने भी एक ऐसा बयान दिया है, जो विवाद खड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह ‘काफी महत्वपूर्ण’ है कि अगर लड़कियां रात में बाहर जाना चाहती हैं तो अपने अभिभावकों के साथ जाएं न कि पुरुष मित्रों के साथ। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनकी बहन या बेटी अवांछित गतिविधियों में संलिप्त मिलती तो वह उस पर पेट्रोल डालकर जला देते।
 
बचाव पक्ष के एक अन्य वकील एमएल शर्मा ने कहा कि हमारे समाज में लड़कियों को रात साढ़े आठ बजे के बाद किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती। (भाषा)