शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Film PK
Written By
Last Modified: सोमवार, 29 दिसंबर 2014 (09:16 IST)

बाबा रामदेव ‘पीके’ पर भड़के, कमाई बढ़ी

बाबा रामदेव ‘पीके’ पर भड़के, कमाई बढ़ी - Film PK
नई दिल्ली। धार्मिक अंधविश्वास और साधु-संतों को निशाने पर लेने वाली आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ आज विवादों के केंद्र में आई। हिन्दू संगठनों ने फिल्म पर कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए प्रतिबंध लगाने की मांग की।
अब इस फिल्म पर बाबा रामदेव ने भी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि हर बार हिन्दू धर्म ही निशाने पर होता है। किसी की हिम्मत नहीं होती कि वे मुस्लिम धर्म के बारे में कुछ कहें। योग गुरू रामदेव ने आज फिल्म और इससे जुड़े लोगों के सामाजिक बहिष्कार की मांग की।
 
बाबा रामदेव ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, ‘जब बात ईसाई धर्म या इस्लाम की हो तो लोग कुछ भी कहने से पहले 100 बार सोचते हैं। लेकिन जब बात हिन्दू धर्म की आती है तो लोग बिना कुछ सोचे समझे कुछ भी कहते हैं या बोलते हैं। यह शर्मनाक है।’ 
 
19 दिसंबर को रिलीज होने के बाद पहले नौ दिनों में फिल्म 214 करोड़ रपए की कमाई कर चुकी है। फिल्म को लेकर विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू जनजागृति समिति और अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने विरोध प्रदर्शन किए हैं जबकि फिल्म पर हिन्दू देवी देवताओं का उपहास करने और ‘अति उकसावपूर्ण’ होने के आरोप लगाते हुए देश के अलग अलग हिस्सों में पुलिस के समक्ष शिकायतें दर्ज करायी गयी हैं।
 
जहां दक्षिण पंथी नेताओं ने मुस्लिम होने की वजह से आमिर पर हिन्दू धर्म का ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया और उनकी आलोचना की वहीं आमिर ने जवाब में कहा, ‘हम सभी धर्म का सम्मान करते हैं। मेरे सभी हिन्दू दोस्तों ने फिल्म देखी है और उन्हें ऐसा नहीं लगा।’
 
उन्होंने फिल्म के निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘राजू (हिरानी) हिन्दू हैं, विनोद (विधु विनोद चोपड़ा) और अभिजात (जोशी) भी हिन्दू हैं। फिल्म निर्माण दल के 99 प्रतिशत लोग हिन्दू थे। कोई भी ऐसा नहीं करता।’
हिन्दू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने आरोप लगाया कि फिल्म में ‘गौ माता’ और भगवान शिव जैसे देवी-देवताओं को जिस तरह दिखाया गया है वह सनातन धर्म का आपमान है।
 
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अमरनाथ यात्रा पर सवाल उठाए हैं, जानबूझकर ऐसी टिप्पणियां फिल्म में की हैं कि फिल्म हिट हो जाए और ज्यादा पैसे कमाए।’ चक्रपाणि ने कहा, ‘उन्होंने सभी धर्मों की भावनाओं को आहत किया है और सबको मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा ना हो।’ 
 
हालांकि फिल्म को लेकर निशाने पर आए सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कांट छांट करने से इनकार कर दिया। सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैमसन ने कहा, ‘हर फिल्म धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती है। हम बिना जरूरत के दृश्य नहीं हटा सकते, क्योंकि रचनात्मकता नाम की भी कोई चीज होती है जहां लोग अपने तरीके से चीजें पेश करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम पहले ही ‘पीके’ को प्रमाणपत्र दे चुके हैं और अब जब यह रिलीज हो चुकी है हम इससे कुछ भी हटा नहीं सकते।’
 
इसी बीच मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने भी फिल्म में कथित ‘आपत्तिजनक’ दृश्यों को लेकर आज फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया ताकि सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित ना हो।
 
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ के कुछ दृश्यों से कथित रूप से धार्मिक भावनाएं आहत होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि देश और प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिशें जोरों पर हैं, ऐसे में फिल्मों में ऐसी चीजें कतई नहीं दिखाई जानी चाहिए।
 
फरंगी महली ने कहा कि फिल्म ‘पीके’ में कुछ दृश्यों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने की बातें सामने आ रही हैं। अगर ऐसा है तो यह बिल्कुल गलत है। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब किसी के जज्बात को ठेस पहुंचाना नहीं है। अगर फिल्म में ऐसे दृश्य हैं तो सेंसर बोर्ड को उन्हें हटा देना चाहिए, ताकि साम्प्रदायिक सद्भाव ना बिगड़े और गंगा-जमुनी तहजीब प्रभावित ना हो।
 
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से देश और खासकर उत्तर प्रदेश का माहौल खराब किया जा रहा है, छोटे मामलों को भी तूल देकर मसला बनाया जा रहा है। उन्माद पैदा करने के लिए लव जिहाद से लेकर धर्मान्तरण तक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे हालात में और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि फिल्मों में खास एहतियात बरती जाए।
 
फिल्म का बचाव करते हुए निर्देशक हिरानी ने कहा कि ‘फिल्म का मूल विचार यह है कि हम हिन्दू या मुस्लिम या सिख या ईसाई के जन्मजात निशान के साथ पैदा नहीं होते।' और हमें एक निश्चित जीवनशैली और कुछ रीतियों का पालन करना पड़ता है।
 
उन्होंने कहा, ‘हमने आमिर को एक दूसरे ग्रह के व्यक्ति के तौर पर दिखाने का फैसला किया जिसका मतलब था कि उसमें यहां पृथ्वी पर धर्म को लेकर कोई विचार या धारणाएं नहीं थीं। (भाषा)