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Last Updated : मंगलवार, 17 अक्टूबर 2017 (19:20 IST)

धनतेरस पर बाजारों में रौनक नहीं

धनतेरस पर बाजारों में रौनक नहीं - Diwali, Dhanteras, Market
नई दिल्ली। बाजार में नकदी की तंगी के कारण दिवाली महोत्सव शुरू होने के बावजूद मंगलवार को धनतेरस पर खुदरा बाज़ारों में मंदी का माहौल बना रहा।
 
दिवाली महोत्सव के पहले दिन धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है और इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, रसोई के सामान आदि की खरीदारी जमकर होती है।
 
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने मंगलवार को बताया कि बाज़ारों में सुस्ती का माहौल है और उपभोक्ताओं का बाज़ारों की ओर रुख बेहद कम रहा। व्यापारियों के लिए यह दिवाली गत दस वर्षों में अब तक की सबसे मंदी दिवाली साबित हो रही है। 
 
बाजार के जानकारों का कहना है कि इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले दिवाली व्यापार में गिरावट 50 प्रतिशत तक पहुंचने की आशंका है। व्यापारियों ने सरकार से बाजार में नकदी बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने और कम ब्याज दर पर आसान ऋण उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
 
आमतौर पर धनतेरस पर सोने और चांदी के भावों में तेजी होती है, लेकिन इस बार पिछले कई दिनों से इनमें कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। सर्राफा बाजारों में सोने का भाव रुपए 30,500 प्रति 10 ग्राम रहा जबकि चांदी का भाव रुपए 40 हजार 500 प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया। एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले सोने-चांदी के व्यापार में लगभग 30 से 35 प्रतिशत की कमी आई है। 
 
कारोबारियों के अनुसार, बाजारों में नकदी की तरलता में बेहद कमी के कारण व्यापार में गिरावट है। पहले नोटबंदी  के कारण बाजार सुस्त था और बैंकों द्वारा शुल्क लगाने के कारण लेनदेन तेजी से नहीं हुआ। दूसरी ओर कृषि उत्पादों के दामों में कमी के कारण किसानों को हानि हुई तथा व्यापारियों और लघु उद्योग की कारोबारी पूंजी का निवेश बढ़ गया।
 
व्यापारी परिसंघ का कहना है कि ई-कॉमर्स ने भी खुदरा बाज़ारों को नुकसान पहुंचाया है। कार्ड से ऑनलाइन खरीद पर कैश बैक देना, अनेक उत्पादों का केवल ई-कॉमर्स पोर्टल पर ही बिकना, बड़े ब्रांड द्वारा ई-कॉमर्स को विज्ञापनों के जरिए सहयोग देना और ई-कॉमर्स कंपनियों की भारी छूट के चलते भी उपभोक्ता बाज़ारों की बजाय ई-कॉमर्स पोर्टल पर खरीदारी करने को तरजीह दे रहे हैं।
 
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर बाज़ारों और व्यापारियों में फैले भ्रम और इसके लिए तैयारी का नहीं होना, कर प्रक्रिया की जटिलता, 28 प्रतिशत की श्रेणी से उपभोक्ताओं की दूरी, जीएसटी पोर्टल का सुचारु तरीके से काम न करना आदि ने भी बाजार के त्योहारी माहौल को ख़राब किया है। (वार्ता)