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Last Updated : गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016 (14:06 IST)

आपका डेबिट कार्ड खतरे में, यह सावधानी बरतें वरना...

आपका डेबिट कार्ड खतरे में, यह सावधानी बरतें वरना... - Debit cards info leak
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार, बैंक जहां से डेबिट कार्ड होता है, उसका डाटा सुरक्षा  के लिए जिम्मेदार होता है। कस्टमर्स को डाटा संबंधी जानकारी को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है, लेकिन जिस तरह खबरें आ रही हैं कि डेबिट कार्ड की गोपनीय जानकारी लीक हो सकती हैं और हमें अपने कार्ड को लेकर चिंतित होना ही चाहिए। सावधान, आपके डेबिट कार्ड से समझौता हो सकता है। 
 
पिछले कुछ हफ्तों में, बैंको द्वारा डाटा की जानकारी लीक होने जैसी कई घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। ये घटनाएं खासतौर पर डेबिट और एटीएम को लेकर थीं। बैंको ने इन घटनाओं को सायबर डेटा लीक कहा और बताया कि किसी प्रकार की धन की हानि नहीं हुई है। 
 
भारत में बैंक अपने कस्टमर्स को या तो उनके सीक्योरिटी कोड्स चैंज करने के निर्देश जारी करेंगे या अपने यूजर्स के कार्ड बदलेंगे। सितंबर में एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड और फेडरल बैंक लिमिटेड ने अपने कस्टमर्स को एसएमएस भेजकर तुरंत पिन बदलने का आग्रह किया। 
 
यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ जानकारियां जिससे आप अपने ‍डेबिट कार्ड के प्रति सावधानियां रखकर उसे सुरक्षित कर सकते हैं।  
 
क्या आपको चिंता करनी चाहिए? 
 
डेबिट कार्ड डेटा को लेकर अब तक आई समस्या बैंक के लेवल पर ही हुई हैं। रिजर्व बैंक के अनुसार डेबिट कार्ड के डेटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंकों की होती है। इस तरह किसी तरह के धन की हानि पर, बैंक को इसका खर्च वहन करना होगा। अगर कोई ट्रांजेक्शन बिना अतिरिक्त अथेंटिफिकेशन के कर दिया जाता है और कस्टमर के अनुसार उसने यह ट्रांजेक्शन नहीं किया तो बैंक को इस हानि की भरपाई करनी होगी। 
 
अगर आपका पैसा गायब हुआ है तो क्या करें? 
 
अगर आपने कुछ पैसा खोया है तो घबराने की जरूरत नहीं। आप तुरंत बैंक को इसकी जानकारी दें। अगर आप बैंक को इसकी जानकारी नहीं देते तो बैंक को जिम्मेदार नहीं माना जाएगा। आप किसी भी समय बैंक को तुरंत बताएं। आरबीआई के निर्देशों के अनुसार, तीन वर्किंग डेज के भीतर इस तरह की घटना की सूचना की जानकारी अपने बैंक को अवश्य दें। इसके बाद ही बैंक की जिम्मेदारी इस मामले में मानी जाएगी।   
 
किस तरह ये धोखे होते हैं? 
 
एक्सिस बैंक के अनुसार, बहुत से बड़े फायनेंनशियल इंस्टीट्यूट सीक्योरिटी को लेकर खतरे कई स्त्रोतों से पाते हैं। इन खतरों से निपटने के फायनेंनशियल इंस्टीट्यूट के अपने तरीके होते हैं। अगर आपके कार्ड का क्लोन या कॉफी बना ली जाए ट्रांजेक्शन के दौरान डाले गए डेटा के आधार पर बना ली जाए तो यह इस तरह के धोखे कर लिए जाते हैं। 
 
क्या सावधानी बरते? 
 
अगर आपका डेटा बैंक लेवल पर लीक हुआ है तो कस्टमर के हाथे में इसके लिए बहुत कुछ करने जैसा नहीं होता। आप अपने कार्ड पर लिमिट सेट करने जैसी सावधानी बरत सकते हैं। कई बैंक केश विड्रावल की लिमिट सेट करने की सुविधा देते हैं। अपना पर्सनल आएडेंटिटी नंबर हर छह महीनों में बदलें।

आरबीआई ने सभी बैंको को आपको कार्ड पर होने वाले हर ट्रांजेक्शन की डिटेल का मैसेज भेजने का आदेश दिया है। इस पर नजर रखें। अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी बैंक के पास अपडेट कराए ताकि आपको सभी जानकारियां भेजी जा सकें। 
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