साइरस मिस्त्री : आश्चर्यजनक रहा परदे पर आना-जाना
मुंबई। साइरस मिस्त्री को चार साल पहले भारत के विशाल टाटा उद्योग समूह शीर्ष पद के लिए नेतृत्व के लिए चुने जाने की खबर आश्चर्यजनक थी। उन्हें चेयरमैन पद से हटाने का टाटा सन्स का निर्णय उससे भी ज्यादा अप्रत्याशित रहा।
मिस्त्री ने रतन टाटा से कंपनी की बागडोर संभाली थी। रतन टाटा के उत्तराधिकारी के चयन के लिए बनी समिति में वह भी शामिल थे। आज समूह के निदेशक मंडल ने उनके उत्तराधिकारी के लिए जो पांच सदस्यीय समिति बनाई है उसमें रतन टाटा को भी रखा गया है।
रतन टाटा को टाटा समूह का अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है। नए चेयरमैन की खोज के लिए चयन समिति को चार महीनों का समय दिया गया है।
रतन टाटा के 75 वर्ष की आयु पूरे करने पर 29 दिसंबर 2012 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद अब 48 वर्ष के हो चुके मिस्त्री को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया था। वह इस पद पर नियुक्त होने वाले दूसरे ऐसे सदस्य थे जो टाटा परिवार से नहीं थे। उनसे पहले टाटा खानदान से बाहर के नौरोजी सक्लतवाला 1932 में कंपनी के प्रमुख रहे थे।
हालांकि इस पद को संभालने के बाद ही मिस्त्री को घरेलू और वैश्विक बाजारों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसमें समूह की कंपनी टाटा स्टील के ब्रिटेन के कारोबार की बिक्री करने का फैसला और समूह की ही दूरसंचार कंपनी टाटा डोकोमो में जापानी सहयोगी डोकोमो के साथ कानूनी विवाद का बढ़ना शामिल है।
गौरतलब है कि मिस्त्री टाटा समूह में अकेली सबसे बड़ी हिस्सेदार शापूरजी पालोनजी से संबद्ध हैं। इस समूह की टाटा समूह में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि 66 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा परिवार से जुड़े ट्रस्टों के पास है। (भाषा)