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Last Updated : शनिवार, 19 नवंबर 2016 (17:43 IST)

नोटबंदी के चलते मंदिर हुए मालामाल, लेकिन...

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नोटबंदी के चलते मंदिर हुए मालामाल, लेकिन... - currency ban : mandir donation box
नोटबंदी के चलते जहां काला धन रखने वाले सदमे में हैं वहीं उन्होंने इस काले धन को सफेद बनाने के कई रास्ते भी निकाले हैं लेकिन जब सभी तरह के रास्ते बंद होने लगे तो मंदिरों में पहुंचने लगा है काला धन। जो लोग पहले 50 या 100 रुपए दान करते थे अब हजारों रुपए दानपेटी में डालकर चंपत हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले से एक ओर मंदिरों की चांदी हो गई है तो दूसरी ओर देशभर के कई मंदिरों के खाते नहीं होने के कारण उनके लिए चढ़ावे की राशि को बैंक में जमा करवाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 
hindu mandir
देश के बड़े मंदिरों का हाल : नोटबंदी के फैसले के बाद अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, तिरुअनंतपुरम का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, शिरडी के साई मंदिर और तिरुपति के तिरुमाला मंदिर में 500 और 1000 के नोटों के दान करने पर तुरंत ही प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन देश के कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां लोग दानपेटी में 500-1000 के पुराने नोट डालकर चले जाते हैं। शिरडी के प्रसिद्ध साईबाबा मंदिर में सालाना 450-500 करोड़ रुपए का चढ़ावा मिलता है। तिरुपति का तिरुमााला मंदिर दान के लिए फेमस है। यहां सालाना 1000 करोड़ रुपए का दान मिलता है। तिरुअनंतपुरम के श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर का पैसों में मूल्य 1 लाख करोड़ रुपए आंका गया है। इस मंदिर को सालाना 20 करोड़ रुपए का दान मिलता है। पंजाब में अमृतसर के मशहूर स्वर्ण मंदिर को हर साल 7 करोड़ रुपए का दान मिलता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर में प्रतिदिन कितना दान आता होगा।
 
अयोध्या के मंदिर : अयोध्या के अधिकतर मंदिरों के बैंक खाते नहीं खुले हैं जबकि इन मंदिरों को पिछले कई सालों से बड़ी मात्रा में दान राशि मिलती रही है। नोटबंदी के बाद तो इनकी दान राशि दोगुनी हो गई है। अयोध्या के कई मंदिर दानपेटी में डाले गए छुट्टेे या छोटे मूल्य के नोटों के बदले 500 और 1000 के बड़े नोटों को जमा करते रहे हैं जिससे कि मंदिर के लॉकर में पैसा रखने में आसानी रहे। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए अयोध्या साकेत डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अनिल सिंह ने बताया, मंदिर शायद ही कभी इंकम टैक्स रिटर्न भरते हों। सभी मंदिर अब एक ही मुसीबत का सामना कर रहे हैं। उनके पास रुपया तो बहुत है लेकिन उनके पास पुराने नोटों के बंडलों को नए नोटों में बदलवाने का कोई रास्ता नहीं है।
 
ब्रज मंडल के मंदिर : मथुरा के मंदिर में सबसे कम चढ़ावा आता है, लेकिन इस बार यहां के मंदिरों की भी चांदी हो गई है। गोवर्धन, वृंदावन, बरसाना, मथुरा, जतिपुरा, गोकुल आदि सभी जगहों के मंदिर प्रबंधन से कहा गया है कि वे रोजाना चढ़ावा बैंक में जमा कराएं। किसी भी व्यक्ति को अनाधिकृत रूप से रुपए बदलकर न दें अन्यथा संबंधित प्रबंधक के विरुद्ध कार्रवाई होगी। ब्रज की धार्मिक संस्थाओं में प्रतिदिन का चढ़ावा लाखों रुपए का होने का अनुमान है। वृंदावन स्थित सुप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर के सहायक प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि उनके मंदिर में अनुमानित 40-50 हजार रुपए प्रतिदिन का चढ़ावा आ जाता है।
 
श्रीनाथजी मंदिर : मेवाड़ के पुष्टिमार्गीय प्रधानपीठ श्रीनाथजी में नोटबंदी के बाद से सभी 22 गुल्लकों में लगभग 72 लाख की भेंट आई। इनमें से 500-1000 के पुराने नोट बैकों में जमा करवाए गए हैं। श्रीजी मंदिर मंडल के वित्त प्रबंधक पीसी छीपा ने बताया कि नोटबंदी से पूर्व मंदिर में साप्ताहिक गुल्लकों की गिनती के तहत गत 3 नवंबर को गुल्लकों की राशि की गणना की गई, जिसमें 17 लाख रुपए प्राप्त हुए। वहीं नोटबंदी के बाद से प्रतिदिन गुल्लक गिनने का कार्य किया जा रहा है। इसमें 9 नवंबर से 17 नवंबर को 22.35 लाख सहित कुल तकरीबन 72 लाख प्राप्त हुए।
 
श्री सिद्धिविनायक मंदिर : मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से मिलने वाला दान करीब 50 प्रतिशत दोगुना हो गया है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र राणे के अनुसार इस बार दानपेटी से 60 लाख रुपए मिले हैं। हमेंं लगता है कि यह 500 और 1000 के नोटों के बंद होने की वजह से हैं। राणे के अनुसार सिद्धिविनायक मंदिर में औसतन हर हफ्ते 35 से 40 लाख रुपए दान मिलता था। मंदिर की दानपेटी हफ्ते में एक बार खोली जाती है। बुधवार 16 नवंबर को सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक दान के पैसे गिने गए। 7 नवंबर से 15 नवंबर तक मिले दान में 500 के 3500 पुराने नोट और 1000 के 1100 पुराने नोट मिले हैं या‍नी मंदिर को बीते हफ्ते 500 और 1000 के नोटों के रूप में 27.50 लाख रुपए दान के रूप में मिले हैं। मंदिर को 2000 के 90 नोट भी दान के रूप में मिले हैं। सरकार ने 10 नवंबर से बैंकों के माध्यम से 2000 के नए नोट देने शुरू किए हैं।
 
हिमाचल के मंदिर : नोटबंदी के बावजूद हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठों में श्रद्धालु करीब 52 लाख के 500 और 1000 के पुराने नोट ही चढ़ा गए हैं। बीते दो दिनों में नैनादेवी मंदिर ट्रस्ट को चढ़ावे में काफी वृद्धि हुई है। काफी संख्या में पुराने 1000 और 500 के नोट चढ़ने से मंदिर की आमदनी में भी भारी वृद्धि दर्ज हुई हैं। नैनादेवी में मंदिर न्यास इस पैसे को बैंक में प्रतिदिन जमा करवा रहा हैं। नोटबंदी के बाद पिछले दो दिनों में मंदिर न्यास को लगभग 19 लाख रुपए चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए हैं। इसमें 1000 के लगभग 694 नोट और 500 के लगभग 1018 नोट प्राप्त हुए। हालांकि मंदिर न्यास ने अब दान पर्ची के रूप में 500 और 1000 के नोट लेने पर मनाही कर दी है लेकिन मंदिर की मुख्य दानपेटी में अभी भी श्रद्धालु 500 और 1000 के नोट डाल रहे हैं। ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि सरकार के ऐलान के बाद मंदिर की दान पेटी में भारी मात्रा में लोग 500 और 1000 के नोट डाल रहे हैं।
 
इसी तरह बीते करीब एक हफ्ते में नैनादेवी मंदिर में 20.86, ज्वालाजी में 4.83, जबकि ब्रजेश्‍वरी मंदिर कांगड़ा में 1.40 लाख की पुरानी करेंसी चढ़ाई जा चुकी है। चामुंडा में आधिकारिक तौर पर 10 नवंबर तक ही 60 हजार के पुराने नोट भक्त चढ़ा गए। चिंतपूर्णी के छिन्नमस्तिका धाम में अब तक 24 लाख 14 हजार रुपए के पुराने नोट मिले हैं। इनमें 8.78 लाख के 1000 और 15.36 लाख के 500 के पुराने नोट दानपात्रों में मिल चुके हैं। नोटबंदी के बाद चिंतपूर्णी में कुल 61.31 लाख का चढ़ावा आ चुका है। नैनादेवी में भी वीरवार तक 11.86 लाख के 1000 के और 9.2 लाख के 500 के पुराने नोट एक सप्ताह में चढ़ाए जा चुके हैं।
 
जलाकंधेश्वर मंदिर : तमिलनाडु में एक मंदिर को 500 और 1000 के नोट वाले 44 लाख रुपए चढ़ावा मिला है। यह चढ़ावा मोदी सरकार की नोटबंदी के फैसले के ठीक एक दिन बाद मिला। इस मंदिर को पहली बार इतना चढ़ावा मिला है। 16वीं शताब्दी में बने इस मंदिर का नाम जलाकंधेश्वर मंदिर है। यह चेन्नई से 137 किलोमीटर दूर वेल्लोर में स्थित है। माना जा रहा है कि ये दान किसी एक शख्स अथवा ग्रुप ने दिया है। एक न्यूज चैनल की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, मंदिर के सेक्रेटरी एस सुरेश कुमार ने बताया, हम लोग इस रकम को एक्सचेंज करने के लिए बैंक में जमा करेंगे। भगवान शिव के इस मंदिर में पिछले 400 साल से धार्मिक विवाद की वजह से कोई पूजा नहीं हो रही थी। अब इस मंदिर का देखरेख पुरातत्विक विभाग करता है। इस बीच केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि 2.5 लाख रुपए से अधिक रकम जमा कराने पर इनकम टैक्स की पैनी निगाह रहेगी।