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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 16 जुलाई 2017 (15:26 IST)

चिदंबरम का मोदी पर बड़ा हमला, 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम विफल

चिदंबरम का मोदी पर बड़ा हमला, 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम विफल - Chidambaram says, Modi Make in India program failed
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि दुनिया में भारत को विनिर्माण क्षेत्र का केंद्र बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले जिस 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की घोषणा की थी वह पूरी तरह विफल रहा है।
 
चिदंबरम ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद मोदी ने देश को विनिर्माण क्षेत्र का प्रमुख केंद्र बनाने की घोषणा की थी और वह सचमुच बहुत अच्छी पहल थी क्योंकि कोई भी देश तब ही समृद्ध बन सकता है जब वह अपने लोगों की आवश्यकता की जरूरी वस्तुओं का खुद निर्माण करता है, लेकिन दो साल में मोदी सरकार की 'मेक इन इंडिया' नीति घोषणा भर ही बन कर रह गई है। इस दौरान सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र का निवेश पाने के  प्रयास भी बेकार साबित हुए हैं।
 
पूर्व वित्त मंत्री ने पार्टी के मुख पत्र 'कांग्रेस संदेश' के ताजा अंक में प्रकाशित एक लेख में कहा "प्रधानमंत्री मोदी बिल्कुल सही थे जब उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार का लक्ष्य, 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता देना है। तब उन्होंने विश्व की विनिर्माण कंपनियों को 'आओ और भारत में बनाओ' कहकर आमंत्रित किया था। कोई भी बड़ा देश समृद्ध तभी बनता है जब वह अपने लोगों के उपयोग की वस्तुओं का विनिर्माण शुरू करता है। कोई भी देश यदि अपने लोगों की आवश्यकता वाली वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने में सक्षम है वह तब ही समृद्ध हो सकता है।
 
चिदंबरम ने कहा कि अब दो साल बाद 'मेक इन इंडिया' की स्थिति क्या है यह सबके सामने है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने विनिर्माण के सकल मूल्य संवर्धन(जीवीए)के जो आंकड़े दिए हैं उसमें 2015-16 की चौथी तिमाही और 2016-17 चौथी तिमाही के बीच लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
 
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 15 अगस्त 2015 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की घोषणा की थी और उसके बाद कहीं भी यह कार्यक्रम तेज पकड़ता नहीं दिखा है। विनिर्माण क्षेत्र के इस घोषणा से तेजी पकड़ने के उलट इसकी गति काफी धीमी पड़ गई।
 
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि जब सरकार ने 'मेक इन इंडिया' जैसे अहम कार्यक्रम के जरिए देश को विनिर्माण क्षेत्र का हब बनाने और इसके लिए कार्यक्रम शुरू किया तो इसके संचालन के लिए उचित प्रशासनिक ढांचागत व्यवस्था तैयार नहीं की गई। परिणाम यह हुआ कि देश की सकल स्थिर पूंजी संरचना (जीएफसीएफ) हर तिमाही में गिरती रही और एक साल में इसमें 2.3 प्रतिशत की कमी आ गई, जो एक तरह की आपदा है।       
 
उन्होंने कहा यह कार्यक्रम अच्छा था लेकिन इसे संचालित करने और गति देने में सरकार असफल रही जिसके कारण यह त्रासदी बन गया है।
 
उन्होंने लिखा, 'मैंने मेक इन इंडिया' का स्वागत किया था। यह अभिनव और नई आकांक्षा पैदा करने वाला था लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा लगता है कि घोषणा से पहले इसके लिए कोई तैयारी नहीं की गई और बाद में भी कोई नीतिगत बदलाव नहीं हुए और मेक इन इंडिया एक खोखला नारा बन कर रह गया।' (वार्ता)