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Last Updated : सोमवार, 10 जून 2019 (17:53 IST)

कठुआ कांड : तीन को 25-25 साल की सजा, पुलिसवाले भी नपे

कठुआ कांड : तीन को 25-25 साल की सजा, पुलिसवाले भी नपे - 3 get life in prison for Kathua rape and murder case
पठानकोट। पिछले साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 वर्षीय बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या से देश को हिलाकर रख देने के मामले में करीब 18 माह बाद सोमवार को फैसला आया। विशेष अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी सांझीराम समेत तीन आरोपियों को उम्रकैद (25-25 साल) की सजा और तीन को 5-5 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
 
10 जनवरी 2018 को बकरवाल समुदाय की आठ वर्ष की मासूम बालिका का अपहरण करने के बाद कई दिनों तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर हत्या कर दी गई। बालिका का क्षत-विक्षत शव अपहरण के एक सप्ताह बाद 17 जनवरी को मिला। इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरे देश में आक्रोश का माहौल और जगह-जगह धरना प्रदर्शन हुए।
 
अदालत ने मंदिर के पुजारी सांझीराम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सजा के साथ तीनों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया है। तीन अन्य दोषियों आनंद दत्ता, सुरेंद्र कुमार और तिलक राज को सबूतों को मिटाने का दोषी मानते हुए 5-5 साल की सजा सुनाई है। यह तीनों पुलिसकर्मी हैं। उम्र कैद की सजा पाया खजूरिया भी पुलिस अधिकारी था। सांझीराम, प्रवेश कुमार और दीपक खजूरिया को हत्या, बलात्कार, साजिश और अपहरण का दोषी माना गया।
 
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया और इसके बाद मामले को पठानकोट की अदालत में हस्तांतरित किया गया। इस मामले में कुल गिरफ्तार आठ आरोपियों में एक नाबालिग था। किशोर आरोपी के खिलाफ अभी मामला शुरू नहीं हुआ है क्योंकि उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है।
      
इस घटना का मास्टर माइंड सांझीराम राजस्व विभाग का सेवानिवृत्त अधिकारी है और उसी ने इस झकझोर देने वाली घटना की साजिश रची। सांझीराम रासना गांव में मंदिर का सेवादार था और उसने बकरवाल समुदाय को इलाके से हटाने के लिए मासूम बालिका के सामूहिक बलात्कार का षड्‍यंत्र बना।
      
पुलिस ने बताया था कि आरोपियों ने बालिका के अपहरण के तीन दिन बाद 13 जनवरी को उसकी हत्या कर दी थी। मौसम बहुत ठंडा होने की वजह से उन्हें इसके सड़ने की चिंता नहीं थी और 16 जनवरी तक बालिका के शव को मंदिर के अंदर ही रखे रहे।
 
मामले की जांच करने वाले अधिकारी ने बताया कि बालिका 10 जनवरी को लापता हुई थी और उसके अभिभावक खोजते हुए 11 जनवरी को मंदिर के नजदीक तक गए थे, लेकिन आरोपियों से बड़ी चालाकी के साथ मासूम के माता-पिता को गुमराह किया और वह वहां से चले गए।
 
पुलिस ने बताया था कि बालिका का अपहरण करने वाले किशोर ने बच्ची के मुंह में जबरन नशीला पदार्थ भर दिया था।। बालिका को कई दिन तक मंदिर के अंदर बंधक बनाए रखा गया और उसे लगातार नशीली दवाएं खिलाई जाती रहीं जिससे मासूम अपने साथ हो रहे अत्याचार का विरोध नहीं कर पाई। इस मामले में सातवें आरोपी विशाल को बरी कर दिया गया है।