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Last Updated : शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015 (19:28 IST)

नहीं उठ सका 11 परमाणु वै‍ज्ञानिकों की मौत के रहस्य से पर्दा!

नहीं उठ सका 11 परमाणु वै‍ज्ञानिकों की मौत के रहस्य से पर्दा! - 11 Indian Nuclear Scientists Died Unnatural Deaths in 4 Years
पिछले कई सालों से देश के परमाणु वैज्ञानिकों के जीवन पर संकट मंडराता रहा है। अब यह चौंकाने वाली जानकारी आरटीआई में सामने आई है कि वर्ष 2009 से 2012 तक के चार सालों में भारत के 11 होनहार परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर अप्राकृतिक हादसों के शिकार हुए हैं। इनमें अधिकांश की मृत्यु रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई है। यह जानकारी हरियाणा के राहुल सेहरावत के आरटीआई आवेदन पर परमाणु ऊर्जा विभाग ने दी है। 
जानकारी के मुताबिक विभाग के लैब तथा शोध केंद्रों में काम करने वाले आठ वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों की मौत विस्फोट या फांसी लगाने या समुद्र में डूबने से हुई। 21 सितंबर को दिए जवाब में विभाग ने कहा है कि न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन के भी तीन वैज्ञानिकों की मौत रहस्यमयी परिस्थितियों में हो गई। इनमें से दो ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, जबकि एक की मौत सड़क दुर्घटना में हुई।
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कैसे पहुंचे अपराधियों तक : इन मामलों में फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि देश के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े इन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की असमय मौत के सभी मामलों में फिंगर प्रिंट गायब हो चुके हैं। ऐसे अन्य सुराग भी नहीं मिले हैं जिसके जरिए पुलिस अपराधियों तक पहुंच पाए। पुलिस इन मामलों को अस्पष्ट करात देती रही है या फिर आत्महत्या बता देती है। 
 
कोर्ट ने दिए ये आदेश : कुछ माह पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके इन मौतों के विषय में एक विशेष जांच दल गठित करने के अपील की गई थी ताकि यह पता चल सके कि देश के प्रमुख परमाणु संस्थान अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए मानक अपना रहे हैं या नहीं। 
 
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2010 में भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ट्रांबे के सी ग्रुप के दो वैज्ञानिक अपने घर में फांसी पर लटके पाए गए थे। इसी पोस्ट के एक वैज्ञानिक जो राजस्थान के रावतभाटा में थे, वे 2012 में मृत पाए गए थे। बार्क वाले मामले को पुलिस ने लंबी बीमारी और आत्महत्या का बताकर बंद कर दिया जबकि बाकी दो मामलों की जांच की जा रही है।
 
2010 में बार्क की कैमिस्ट्रिी लैब में ही दो अनुसंधानकर्ताओं की रहस्यमय तरीके से आग लगने से मौत हो गई। एफ ग्रेड के एक वैज्ञानिक की उनके निवास मुंबई में ही हत्या कर दी गई। ऐसी आशंका व्यक्त की गई की गला दबाकर उनकी हत्या की गई, लेकिन आज तक हत्या करने वाले का कोई पता नहीं चल पाया है। 
 
मध्यप्रदेश इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (कैट) के डी ग्रेड के एक वैज्ञानिक ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या का बताकर बंद कर दिया। 2013 में एक और वैज्ञानिक, जो तमिलनाडु कलपक्कम में थे, ने समुद्र में कूदकर अपने जीवन का अंत कर लिया। 
 
यह इस घटना में अभी जांच जारी है जबकि मुंबई में वैज्ञानिक ने फांसी लगा ली। जिसे पुलिस ने निजी कारणों से यह कदम उठाना बताया। कर्नाटक के कारवार में स्थित काली नदी में एक वैज्ञानिक ने कूदकर अपनी जिंदगी समाप्त कर दी। इस मामले के पीछे भी पुलिस ने निजी कारणों को जिम्मेदार बताया। (एजेंसियां)