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Written By वार्ता

विस्फोट-93, तीन को फाँसी की सजा

विस्फोट-93, तीन को फाँसी की सजा -
टाडा अदालत ने मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार विस्फोट मामले में तीन दोषियों को बुधवार को फाँसी की सजा सुनाई।

टाडा अदालत के विशेष न्यायाधीश प्रमोद कोडे ने शहर के वरली इलाके के सेंचुरी बाजार के पास विस्फोट करने के दोषी अब्दुल गनी तुर्क, परवेज नसीर शेख और मोहम्मद मुश्ताक तरानी को फाँसी की सजा दी।

अब्दुल गनी तुर्क ने सेंचुरी बाजार के पास एक कार में विस्फोटक आरडीएक्स रखा था, जिसमें 113 निर्दोष लोग मारे गए थे। तुर्क को विस्फोट की साजिश के लिए दुबई और मुंबई में हुई बैठक में हिस्सा लेने, पाकिस्तान में हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेने तथा वाहनों में विस्फोटक आरडीएक्स रखने का भी दोषी करार दिया गया था।

विशेष न्यायाधीश ने परवेज नसीर शेख को फाँसी की सजा सुनाए जाने के बाद कहा कि उसकी हरकत देश के मुस्लिम समुदाय पर एक बदनुमा धब्बा है। अदालत ने परवेज नसीर शेख को उपनगर बांद्रा के पाँच सितारा होटल 'सी रॉक' होटल में विस्फोटक रखने का भी दोषी करार दिया था। हालाँकि उस विस्फोट में जानमाल की कोई क्षति नहीं हुई थी।

मोहम्मद मुश्ताक ने दक्षिण मुंबई के शेख मेमन स्ट्रीट में विस्फोट के लिए एक स्कूटर रखा था, जिसमें आरडीएक्स था। हालाँकि यह विस्फोट नहीं हो सका था तथा कोई नुकसान भी नहीं हुआ था। तरानी को उपनगर विले पारले के पाँच सितारा होटल सेंटूर में विस्फोटक रखने का दोषी करार दिया गया था। उसने होटल के एक कमरे में आरडीएक्स से भरा सूटकेस रखा था। उस विस्फोट में जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन लाखों की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

विस्फोट कांड के दोषी एक सौ अभियुक्तों में से अदालत ने अब तक 80 को सजा सुनाई है, जिसमें दो को फाँसी और 14 को आजीवन कारावास की सजा दी गई है तथा शेष 64 को तीन साल से तेरह साल की सजा हुई है।

अभी जिन लोगों की सजा का फैसला आना बाकी है, उनमें फिल्म अभिनेता संजय दत्त भी हैं, जिन्हें शस्त्र कानून के तहत दोषी करार दिया गया है।

गौरतलब है कि अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढाँचा गिराए जाने के बाद मुम्बई में 12 मार्च 1993 को दो घंटे के दौरान बारह जगहों पर हुए विस्फोट में 257 लोग मारे गए थे तथा सात सौ से अधिक लोग घायल हुए थे।