1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010 (00:16 IST)

वहाँ नोबेल पुरस्कार और यहाँ खुदकुशी!

टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक
जहाँ टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के पुरोधा राबर्ट एडवर्ड्‍स को वर्ष 2010 के नोबेल पुरस्कार विजेता के तौर पर दुनिया भर में सम्मान मिला है, वहीं 1978 में भारत में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का सफल प्रयोग करने वाले डॉक्टर सुभाष मुखोपाध्याय विवादों में फँस गए और उन्हें इस कदर परेशान किया गया कि आखिरकार उन्होंने आत्महत्या कर ली।

गौरतलब है कि देश की पहली और दुनियाभर की दूसरी टेस्ट ट्यूब बेबी दुर्गा उर्फ कनुप्रिया अग्रवाल का प्रयोगशाला में निषेचन तीन अक्टूबर 1978 को किया गया था। कोलकाता के डॉक्टर डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय को इसका श्रेय आठ साल बाद दिया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी क्योंकि सामाजिक अलगाव, नौकरशाही की नजरअंदाजी, धमकियों और पश्चिम बंगाल की मार्क्‍सवादी सरकार की बेइज्जती से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।

दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुई ब्राउन का जन्म डॉ. मुखोपाध्याय के प्रयोग से तीन माह पहले 25 जुलाई 1978 को ब्रिटेन में हो गया था और इसके लिए डॉ. एडवर्ड्‍स को दुनिया भर में सफलता का श्रेय दिया गया। गौरतलब है कि 1978 के बाद से अब तक लगभग 40 लाख बच्चों का जन्म इस विधि से हो चुका है।

दुर्गा का जन्म नैतिक विवाद में फँस गया था। यहाँ तक कि पश्चिम बंगाल सरकार ने मुखोपाध्याय के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने भारत में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में कोई इतिहास रचा है। चिकित्सक की उपलब्धि को सरकार ने शुरुआत में तो स्वीकार करने से ही इनकार कर दिया था।

सामाजिक अलगाव, नौकरशाही द्वारा नजरअंदाज कर दिए जाने, धमकियों और मार्क्‍सवादी सरकार द्वारा की गई बेइज्जती के अलावा भारत सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए जाने देने से इनकार कर दिए जाने से आहत डॉ. मुखोपाध्याय ने कोलकाता स्थित अपने आवास में 19 जून 1981 को आत्महत्या कर ली थी।

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एक समिति ने डॉ. मुखोपाध्याय से कई बार पूछताछ की थी। समिति ने कहा कि मुखोपाध्याय का दावा फर्जी था। उनकी उपलब्धि को उनकी मृत्यु के बाद स्वीकार किया गया। उन्हें 1986 में ऐसे भारतीय चिकित्सक के तौर पर आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई, जिन्होंने भारत में प्रयोगशाला में पहला निषेचन संपन्न किया था। दुर्गा के जन्म के आठ साल बाद भारत की दूसरी टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा का जन्म हुआ था। (भाषा)