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44 प्रतिशत अमेरिकी युवाओं ने मोबाइल से फेसबुक ऐप हटाया

44 प्रतिशत अमेरिकी युवाओं ने मोबाइल से फेसबुक ऐप हटाया - Facebook app, American youth
# माय हैशटैग

अमेरिका में इन दिनों हवा चल रही है कि फेसबुक ऐप को अपने मोबाइल से डिलीट कर दिया जाए। 44 प्रतिशत युवाओं ने अपने मोबाइल फोन से फेसबुक ऐप हटा दिया है। वे फेसबुक पर जुड़े तो हैं, लेकिन अपने कम्प्यूटर के जरिये, क्योंकि उन्हें लगता है कि फेसबुक ऐप मोबाइल के जरिये जासूसी कर रहा है। कैम्ब्रिज एनेलिटिका कांड के बाद अमेरिकी युवाओं में फेसबुक के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इसी के साथ 18 से 49 साल की उम्र के अधिकांश अमेरिकी फेसबुक यूजर्स ने अपने मोबाइल की प्राइवेट सेटिंग में जाकर अपनी निजता को बचाने की कोशिश की है। यह आंकड़ा 1 वर्ष का है।
 
 
ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने मोबाइल पर फेसबुक ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनमें बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है। अमेरिका में 65 साल से बड़े केवल 33 प्रतिशत लोग ही फेसबुक जैसे ऐप का इस्तेमाल मोबाइल पर करते हैं। दुनिया के अधिकांश विकसित देशों में फेसबुक के खिलाफ हवा-सी चल पड़ी है। लोगों को लगता है कि फेसबुक उनकी जासूसी कर रहा है।
 
 
ऐसा माना जाता है कि मार्केटिंग कंपनियों को फेसबुक द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा डाटा ज्यादा पसंद आता है। उनके अनुसार फेसबुक के डाटा में उपभोक्ताओं की जानकारी विस्तृत और साफ-साफ दी होती है। फेसबुक अपने हर अपलोड वीडियो को सेव करके रखता है। तस्वीरों से वीडियो बनाने का काम भी वह इसी अंदाज में करता है।
 
 
अमेरिकी युवाओं में इन दिनों एक नया चलन चल पड़ा है। अपने मोबाइल फोन से सोशल मीडिया का हर ऐप डिलीट करने का। इस चलन के पीछे निजता के अलावा मोबाइल फोन के हैंग होने से बचना भी है। कई लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया का उपयोग करना अब उतना मजेदार और सामयिक नहीं रहा। जो लोग सोशल मीडिया पर बने हुए हैं, उनका मानना है कि मोबाइल के बजाय डेस्कटॉप या लैपटॉप से सोशल मीडिया पर कनेक्ट रहना सुविधाजनक भी है और समय बचाने वाला भी।
 
 
मोबाइल फोन की नई जनरेशन आती जा रही है, जो ज्यादा सक्षम है, लेकिन महंगी भी। इन फोन का आकार भी बढ़ता जा रहा है। एक बड़े वर्ग का यह मानना है कि मोबाइल फोन का उपयोग बातचीत के बजाय दूसरे साधनों के लिए ज्यादा होने लगा है, जैसे कैमरा, अलार्म घड़ी, केल्कुलेटर, इंटरनेट, मोबाइल बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग आदि। ऐसे में फोन पर बढ़ती निर्भरता रोजमर्रा के काम को पंगु बना देती है।