बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. विधानसभा चुनाव 2018
  3. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018
  4. MP election 2018 Shivraj singh chouhan
Written By

शिवराज मुख्‍यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे, चुनाव में दिखेगा कांटे का मुकाबला

शिवराज मुख्‍यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे, चुनाव में दिखेगा कांटे का मुकाबला - MP election 2018 Shivraj singh chouhan
नई दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं है। क्योंकि इस बार चुनाव में बहुत ही दिलचस्प और कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है।
 
टीवी चैनल आजतक के एक सर्व के मुताबिक मुख्‍यमंत्री पद के लिए निर्विवाद रूप से शिवराज मध्यप्रदेश के बहुसंख्य लोगों की पसंद हैं। राज्य के 46 फीसदी लोग एक बार फिर शिवराज को मुख्‍यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं, वहीं कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इस दौड़ में दूसरे स्थान पर हैं। वे 32 प्रतिशत लोगों की पसंद हैं। 
 
राज्य के अन्य नेताओं की बात करें तो मुख्‍यमंत्री पद की दौड़ में वे काफी पीछे छूट गए हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ 8 फीसदी लोगों की पसंद हैं, वहीं पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजयसिंह मात्र 2 प्रतिशत लोगों की ही पसंद हैं। केन्द्रीय मंत्री उमा भारती इस दौड़ में सबसे पीछे (1%) हैं। 
 
शिवराज के लिए खतरा भी कम नहीं : राज्य में सरकार की बात करें तो इस बार कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सर्वे के मुताबिक 41 फीसदी लोग शिवराज सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं, वहीं 13 फीसदी मानते हैं कि कामकाज ठीकठाक है। सबसे अहम बात यह है कि इस बार 40 प्रतिशत लोग मानते हैं प्रदेश में बदलाव होना चाहिए।
 
इससे ऐसा लगता है कि मप्र में भी इस बार गुजरात जैसा मुकाबला देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही 13 फीसदी वोटर का मूड मतदान के समय कैसा रहेगा इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। यह वर्ग किसी के भी पक्ष में बाजी को पलट सकता है। 
 
मध्यप्रदेश के लोग किसे चाहते हैं पीएम : यदि प्रधानमंत्री पद की बात करें तो अब भी पलड़ा नरेन्द्र मोदी का ही भारी है। राज्य के 56 फीसदी लोग एक बार फिर मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं, जबकि 36 प्रतिशत लोग राहुल को पीएम बनते हुए देखना चाहते हैं। कामकाज की बात करें तो मप्र के 47 प्रतिशत लोग मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं। यहां 34 फीसदी लोग चाहते हैं कि बदलाव होना चाहिए, जबकि 13 फीसदी लोग केन्द्र सरकार के कामकाज को ठीकठाक मानते हैं।