तू न बदली मां मगर हर रोज़ बदला ये जहां
लब-ओ-लहजा हो कैसा भी
आहट बनावट कुछ भी हो
दिल है तुम्हारा एक सा
सूरत सजावट कुछ भी हो
तुम चीन में हो या चाँद पर
दिल तो तुम्हारा घर में है
चिड़िया हो जैसे दूर पर
अटका तो दिल शजर में है
जब तक हो तुम हर आस है
दो जहां की खुशियां पास है
तेरी दो आंखों में मै हूं
ये ही सबसे ख़ास है
सदियों से बदले दौर ने
हर एक को बदला यहां
तू न बदली मां मगर
हर रोज़ बदला ये जहां
तू है तो दिन है रात है
तू है तो हर इक बात है
तू है तो घर भी घर है मां
घर के मकीं भी साथ हैं
अल्लाह करे साया तेरा
यूं ही मेरे सर पर रहे
तेरी दुआएं साथ हो
जब जब भी हम भंवर में रहे ....