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Written By गायत्री शर्मा

हौसलों से उड़ान भरने वाली किरण बेदी

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के

Kiran Bedi | हौसलों से उड़ान भरने वाली किरण बेदी
Gayarti Sharma
WD
अमृतसर के एक छोटे से परिवार में जन्मी चार बेटियाँ, जिन्होंने आगे चलकर अपने माता-पिता का नाम रोशन ‍किया।

बेटियों को ईश्वर का वरदान मानने वाले दूरदृष्टि माँ-बाप (प्रकाशलाल और प्रेमलता पेशावरिया) की चार बेटियों में से दूसरी बेटी हैं- किरण बेदी। ‍किरण का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था।

* शिक्षा एवं रुचि :-
किरण बेदी की प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के कॉन्वेंट स्कूल में हुई। सन् 1964-68 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अँग्रेजी साहित्य ऑनर्स में स्नातक तथा सन् 1968-70 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की।

भारतीय पुलिस में अपनी सेवाओं के दौरान भी उन्होंने पढ़ाई के प्रति अपना मोह नहीं छोड़ा। सन् 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की।

राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नई दिल्ली से 1993 में सामा‍जिक विज्ञान में 'नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा' विषय पर शोध करके पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। सन् 2005 में ‍किरण बेदी को 'डॉक्टर ऑफ लॉ' की उपाधि से सम्मानित किया गया।

बचपन से ही किरण के मन में कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा था, जिसके बूते पर उन्होंने अपनी एक अलग राह चुनी। किरण को बचपन में टेनिस बहु‍त पसंद था। अपनी बहनों के साथ उन्होंने इस खेल में कई खिताब भी हासिल किए। उस वक्त वे 'पेशावर बहनों' के नाम से विख्यात हुईं। किरण ऑल इंडिया और ऑल एशियन टेनिस चैंपियन‍िशिप की विजेता भी रहीं।

* पदभार :-
भारतीय पुलिस सेवा में पुलिस महानिदेशक (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के पद पर पहुँचने वाली किरण एकमात्र भारतीय महिला थीं, जिसे यह गौरव हासिल हुआ।

किरण डीआईजी, चंडीगढ़ गवर्नर की सलाहकार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में डीआईजी तथा यूनाइटेड नेशन्स में एक असाइनमेंट पर भी कार्य कर चुकी हैं।

* उल्लेखनीय कार्य :-
अपने कार्यकाल के दौरान और कार्यकाल के पश्चात भी किरण बेदी ने कई उल्लेखनीय कार्य किए। जिनके जरिए उन्हें प्रसिद्धि मिली।

जब किरण बेदी को 7,200 कैदियों वाली ‍'तिहाड़ जेल' की महानिरीक्षक बनाया गया तो उन्होंने वहाँ एक नया मिशन चलाया। इसके अंतर्गत उन्होंने कैदियों के प्रति 'सुधारात्मक रवैया' अपनाते हुए उन्हें योग, ध्यान, शिक्षा व संस्कारों का पाठ पढ़ाया।

यह बहुत कठिन लक्ष्य था किंतु दृढ़निश्चयी किरण बेदी ने तिहाड़ जेल का नक्शा बदलकर उसे 'तिहाड़ आश्रम' बना दिया। इसके लिए किरण बेदी को आज भी जाना जाता है।

जब किरण नई दिल्ली की 'ट्रैफिक कमिश्नर' बनीं तब तीखे तेवरों वाली इस महिला ने पार्किंग वाइलेशन करने पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री की गाड़ी को भी नहीं बक्शा।

किरण ने कानून को सभी नागरिकों के लिए समान मानते हुए अपना कर्तव्य निभाते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की गाड़ी को भी क्रेन से उठवा दिया। तभी से किरण बेदी 'क्रेन बेदी' के नाम से विख्यात हुईं।

* किरन को नवाज़ा गया :-
पुरस्कार किरण बेदी के अदम्य साहस का प्रतीक मात्र थे क्योंकि उन्होंने जो किया वह समाजसेवक होने के नाते किया न कि पुरस्कार पाने के लिए। किरण बेदी को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया।

इनमें से प्रमुख पुरस्कार प्रेसीडेंट गेलेट्री अवार्ड (1979), वीमेन ऑफ दी ईयर अवार्ड (1980), एशिया रिजन अवार्ड फॉर ड्रग प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (1991), महिला शिरोमणि अवार्ड (1995), फादर मैचिस्मो ह्यूमेटेरियन अवार्ड (1995), प्राइड ऑफ इंडिया (1999) तथा मदर टेरेसा मेमोरियल नेशनल अवार्ड (2005) आदि प्रमुख हैं। इन सभी पुरस्कारों के अलावा किरण बेदी को सराहनीय सेवा के लिए सन् 1994 में 'रोमन मैग्सेसे अवार्ड' से भी नवाजा गया।

* किरन पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म :-
डार्क सिटी, मिशन इंपासिबल 2, होली स्मोक जैसी फिल्मों की सहायक एडीटर रह चुकी मशहूर ऑस्ट्रेलियाई फिल्मकार मेगन डॉनमेन का यह पहला स्वतंत्र प्रोजेक्ट था। जिसमें उन्होंने किरन बेदी के जीवन के उतार-चढ़ावों व संघर्षों को एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया है।

'यस मैडम, सर' नाम की इस फिल्म में मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री हेलेन मिरेन ने सूत्रधार के रूप में अपनी आवाज दी है।

भारतीय महिलाओं के लिए मिसाल बनी किरन बेदी के जीवन के सभी पहलुओं व अनुभवों को समेटने का प्रयास इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में किया गया है। जिसे बनने में लगभग छह साल का वक्त लगा है।

इस फिल्म का प्रोजेक्ट काफी लंबा था। अत: इस कार्य में आर्थिक समस्या पेश आना लाज़मी था। ऐसे में कुछ निजी निवेशकों के सहयोग से यह फिल्म बनकर तैयार हुई।

* क्यों लिया वी. आर. एस.? :-

वर्षों तक देश सेवा के कार्य में अपना जी-जान लुटाने वाला हर व्यक्ति तरक्की चाहता है। किरण बेदी के साथ भी यही हुआ।

दिल्ली के उपराज्यपाल ने किरन बेदी को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाए जाने की सिफारिश की थी किंतु गृह मंत्रालय किरण बेदी के स्थान पर वाई. एस. डडवाल को यह पद देने के पक्ष में था।

अत: किरण के स्थान पर 1974 बैच के वाई. एस. डडवाल को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया, जिससे क्षुब्ध होकर किरण बेदी ने वी. आर. एस. ले लिया।

* समाजसेवा की पहल :-

अपने निर्धारित कार्य के अलावा भी किरण बेदी ने समाजसेवा में अपनी रुचि को मूर्त रूप प्रदान करते हुए दो एन.जी.ओ. की शुरुआत की। सन् 1987 में किरण ने 'नवज्योति' तथा 1994 में 'इंडिया विजन फाउंडेशन' नामक संस्थान की स्थापना की।

इनका प्रमुख लक्ष्य नशाखोरी पर अंकुश लगाना तथा गरीब व जरूरतमंद लोगों की सहायता करना है। इस संस्थाओं को यूनाइटेड नेशन्स की ओर से 'सर्ज सॉइटीरॉफ मेमोरियल अवार्ड' से भी नवाजा जा चुका है।

* कामयाबी का श्रेय :-
किरण अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माँ-बाप को भी देती हैं, जिनके हौसलों ने उन्हें आगे बढ़ने की ताकत प्रदान की। किरण के पिता हमेशा से ही अपनी बेटियों को कहते थे कि 'तुम अपना जीवन खुद बनाओ, तुम किसी से कम नहीं हो, आसमान अनंत है और पढ़ाई तुम्हारा असली धन है।'

बुद्धि, कौशल हर चीज में किरण लड़कों से कम नहीं। 'लोग क्या कहेंगे' इस बात की किरण ने कभी भी परवाह नहीं करते हुए अपनी जिंदगी के मायने खुद निर्धारित किए।

अपने जीवन व पेशे की हर चुनौती का हँसकर सामना करने वाली किरण बेदी साहस व कुशाग्रता की एक मिसाल हैं, जिसका अनुसरण इस समाज को एक सकारात्मक बदलाव की राह पर ले जाएगा। 'क्रेन बेदी' के नाम से विख्यात इस महिला ने बहादुरी की जो इबारत लिखी है, उसे सालों तक पढ़ा जाएगा।