फैशन की अंधी लहर में बहना उचित नहीं
नौ जुलाई को फैशन डे पर विशेष
हर दौर अपने साथ एक चलन ले कर चलता है जिसे फैशन कहते हैं लेकिन न तो फैशन को आधुनिकता का पर्याय माना जा सकता है और न ही इसकी अंधी लहर में बहना उचित होता है। विशेषज्ञों की राय में फैशन समय की माँग नहीं होता लेकिन युवाओं की राय इससे विपरीत है। उन्हें लगता है कि फैशन के अनुरूप अगर वह न चलें तो उन्हें उनके समकक्षों की तुलना में कमतर माना जाता है।फैशन डिजाइनर निखिल मानते हैं कि फैशन न कोई लहर है और न ही दीवानगी है। यह केवल एक बदलाव है जो नयेपन का अहसास कराता है। वह कहते हैं कि कुछ कुछ वर्षों के अंतराल में हम वह सब अपनाते जाते हैं जिसे कभी हमने पीछे छोड़ दिया था। कपड़े, हेयर स्टाइल, मेकअप, कहीं भी कुछ भी पुराना नहीं होता। बदलाव के साथ साथ कुछ नए प्रयोग चलते रहते हैं। वह यह भी कहते हैं कि जो भी लोगों को भा जाए, वह चलन में आ जाता है और उसे ही फैशन नाम दे दिया जाता है। लेकिन कोई भी प्रयोग या बदलाव यह सोच कर नहीं किया जाता है कि इससे एक नए फैशन की शुरूआत होगी।दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र में एमए कर रहे मलय चौधरी कहते हैं 'फैशन तो वही होता है जो चलन में होता है। आज अगर जींस का दौर है और मैं धोती पहनूँ तो कैसा लगेगा। धोती पहन कर कॉलेज नहीं जाया जा सकता, लेकिन किसी खास समारोह में अगर मैं धोती पहने नजर आउं तो शायद मैं ही फैशनेबल कहलाउँगा।' निखिल कहते हैं कि समय के अनुसार चलना चाहिए अन्यथा फैशन हँसी का पात्र भी बना सकता है। मलय निखिल से सहमत हैं। वह कहते हैं 'कपड़े, मेकअप, स्टाइल सब कुछ समय के अनुरूप ही होना चाहिए। इंटरव्यू देने जाएँ तो वहाँ जींस टीशर्ट नहीं चलेगी। शोकसभा में चटख रंग के कपड़े अच्छे नहीं लगते। फैशन अपनी जगह सही है लेकिन इसके साथ समय का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।'विदेशों में नौ जुलाई को फैशन डे मनाया जाता है। लेकिन निखिल मानते हैं कि हमारे देश में फैशन डे के बारे में शायद किसी ने भी नहीं सुना होगा । हमारे यहां फैशन की बहार है पर इसके लिए अब तक कोई दिन समर्पित नहीं किया गया है। शहर में एक जेन्ट्स ब्यूटी पार्लर के संचालक संजय गुप्ता कहते हैं 'अक्सर फैशन की शुरूआत फिल्मों से होती है। फिल्मों में नायक नायिका ने जो पहना, वही फैशन बन जाता है। गजनी फिल्म जब आई तो युवा वर्ग आमिर खान की तरह हेयर स्टाइल पसंद करने लगा। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि वह हेयर स्टाइल हर युवा के चेहरे पर अच्छी नहीं लगती।'वह कहते हैं 'अमिताभ बच्चन के दौर में युवा बड़े बाल रखना पसंद करते थे। अब सबको अभिषेक बच्चन, अक्षय कुमार जैसे छोटे बाल चाहिए। इसी तरह लड़कियों ने ‘बंटी और बबली’ में रानी मुखर्जी द्वारा पहना गया सलवार सूट खूब पसंद किया और अपना लिया। लेकिन यह देखना चाहिए कि कोई भी बदलाव व्यक्तित्व को निखारने वाला होना चाहिए, हँसी का पात्र बनाने वाला नहीं।'