सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बाघ का शिकार, सिर भी काटकर ले गए शिकारी
भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा रखने वाले मध्यप्रदेश में बाघ के शिकार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में बाघ के शिकार का है। हैरत की बात यह है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व जो बाघों के लिए सबसे महफूज माना जाता है, वहां कोर एरिया में बाघ का शिकार हो गया है और कई दिनों तक प्रबंधन को इसकी भनक नहीं लगी। डबरादेव बीट में बाघ का शव जब विभाग के अमले को मिला तो वह पूरी तरह डी-कंपोज हो चुका था।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में घुसकर किस तरह बैखौफ शिकारियों ने बाघ का का शिकार किया उसको इससे समझा जा सकता है कि वह शिकार के बाद बाघ का सिर भी काटकर ले गए। कोर एरिया में बाघ के शिकार के बाद पूरे टाइगर रिर्जव प्रबंधन में हड़कंप मच गया।
गौरतलब है कि पिछले महीने सतुपड़ा टाइगर रिजर्व के जंगलों के आसपास कुछ संदिग्ध घूमते नजर आएं थे। ऐसे में आशंका है कि इन संदिग्ध शिकारियों ने ही बाघ का शिकार किया है। शिकारी बाघ का शिकार कर बाघ का सिर के साथ पंजे, पूंछ के बाल भी थी साथ ले गए। अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए प्रबंधन ने एसटीआर और वाइल्ड लाइफ एसटीएफ पूरे मामले की जांच कर रही है। हैरत की बात है कि प्रदेश में बाघों की सुरक्षा के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है। बाघों की सुरक्षा और उनकी लोकेशन को ट्रैक करने के लिए कॉलर आईडी लगाई जाती है, लेकिन उसके बाद भी बाघ का शिकार हो जाता है और प्रबंध को कई दिनों तक इसकी भनक भी नहीं लगती।
पन्ना में फांसी पर लटाकर किया था बाघ का शिकार-ऐसे नहीं है कि मध्यप्रदेश मे बैखौफ शिकारियों ने पहले भी इस तरह निर्दयता पूर्वक बाघ का का शिकार किया हो। इससे पहले पिछले साल दिसंबर महीने में पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघ के हैरतअंगेज तरीके से शिकार का सनसनीखेज मामला सामने आया था। जहां पर शिकारियों ने फांसी पर लटकाकर बाघ का शिकार किया था।
नेशनल पार्क में बाघों का शिकार- मध्यप्रदेश के नेशनल पार्क में रहने वाले बाघ भी सुरक्षित नहीं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक बाघों की सबसे ज्यादा मौतें टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हुई हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 30 और बांधवगढ़ में 25 मारे गए थे।नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2022 में 15 जुलाई तक 74 बाघों की मौत हुई जिसमें 27 बाघ मध्यप्रदेश के थे, वहीं वन्य प्राणी सरंक्षण को लेकर कैग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 2014 से 2018 के बीच 115 बाघों की मृत्यु हुई।