सुर्खियों के लिए रचा मौत का खेल!
- कीर्ति राजेश चौरसिया
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिला मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर स्थित गोरइयां गांव में नारायणदास कुशवाहा नाम के एक वृद्ध (बाबा) ने 48 घंटे पहले जमीन के अंदर समाधि ली और ठीक 48 घंटे बाद बाबा भजन-कीर्तन के साथ समाधि से जिंदा निकल आया। इस पूरे घटनाक्रम में ढोंग और अंधविश्वास की भनक प्रशासन को नहीं लग पाई।
ड्रामा रचने वाले ग्रामीण नारायणदास की मानें तो उसे बजरंगबली से प्रेरणा मिली थी कि समाधि लो। बाबा के मुताबिक जब धरती पर ज्यादा पाप बढ़ जाते हैं तो वर्षा कम होने लगती है। ऐसे में अगर कोई समाधि लेता है तो क्षेत्र में अच्छी बारिश होती है।
बाबा ने कहा कि उसने वर्ष 2003 में भी 24 घंटे की और वर्ष 2004 में 36 घंटे की समाधि ली थी और इस बार पूरे 48 घंटे की समाधि लेकर अच्छी बारिश की कामना की है।
उधर बाबा की समाधि लेने के इस क्रम में दो दर्जन से अधिक लोगों का सहयोग रहा है और इस मजमे को देखने के लिए भी गांव के सरपंच सहित सैकड़ों ग्रामीण लोगों की भीड़ एकत्रित हुई थी। इस पूरे ड्रामे से प्रशासन पूरी तरह अंजान था।
बड़ा सवाल यह है कि महज कुछ लोगों ने यह पब्लिसिटी स्टंट रचा, जिसमें जान तक जा सकती थी और अगर कोई अप्रिय घटना घट जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता?
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम और मामले की जानकारी ग्रामीणों सहित सरकार के नुमाइंदों गांव के सरपंच, सेकेट्री, पटवारी, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता को रही होगी, लेकिन किसी ने भी पुलिस को को सूचना देने की जहमत नहीं हटाई।