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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

मध्यप्रदेश में भी पशुपालकों के लिए मुसीबत बना लंपी वायरस, क्या सावधानी बरतें और क्या है इसकी दवाई?

मध्यप्रदेश में भी पशुपालकों के लिए मुसीबत बना लंपी वायरस, क्या सावधानी बरतें और क्या है इसकी दवाई? - Lumpy virus in Madhya Pradesh too, what precautions should be taken and what is its medicine?
राजस्थान में कहर बरपाने के बाद पशुओं के रोग लंपी ने मध्यप्रदेश में भी दस्तक दे दी है। राज्य के कई जिलों में लंपी संक्रमित पशु सामने आने लगे हैं। हाल ही में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी राज्य में लंपी की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने बैठक में पशुओं को आइसोलेट करने के साथ ही पशुपालकों को जागरूक करने के निर्देश भी दिए। इस बीच, राज्य में दर्जन भर से ज्यादा जिलों ने लंपी ने दस्तक दे दी है। हालांकि ऐहतियात बरतते हुए सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आने वाले पशुओं पर रोक लगा दी है। दरअसल, लंपी शब्द अंग्रेजी के Lump से बना है, जिसका हिन्दी अर्थ गांठ होता है।
 
आपको बता दें कि अकेले राजस्थान में लंपी वायरस से 70 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है। मध्यप्रदेश के लंपी प्रभावित जिलों में प्रशासन ने पशुओं के बाजार और ट्रांसपोर्टेशन पर भी रोक लगा दी है ताकि बीमारी का और प्रसार न हो। प्रदेश में दर्जन भर से ज्यादा जिलों में लंपी वायरस की आमद हो चुकी है। प्रमुख रूप से ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, बैतूल आदि जिलों में इस वायरस का ज्यादा असर है। इंदौर संभाग के जिले भी इससे अछूते नहीं हैं। 
 
क्या करें पशुपालक : इंदौर संभाग के पशुपालन विभाग के जॉइन्ट डायरेक्टर जीएस डाबर ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि 97 हजार पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि यदि पशुओं में लंपी लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें अस्वस्थ पशु से तत्काल अलग कर दें। उन्होंने कहा कि लंपी रोगी पशु के शरीर पर चट्‍टे और गांठें दिखाई देती हैं। इसके साथ ही वह खाना-पीना कम कर देता है। उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। बुखार भी रहता है। 
 
डाबर ने कहा कि पशुपालक अस्वस्थ पशुओं को तत्काल निकटतम पशु चिकित्सा अस्पताल ले जाकर उनका उपचार करवाएं। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर पशु बाजार और पशुओं के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक लगा दी है। इसके लिए धारा 144 लगा दी गई है। 
उन्होंने बताया कि इंदौर संभाग के लगभग 594 गांव लंपी रोग से प्रभावित हैं। 2000 से ज्यादा पशु बीमारी से मुक्त हो चुके हैं, जबकि बीमार पशुओं की संख्या 2500 के करीब है। जॉइन्ट डायरेक्टर डाबर ने कहा कि टीके के अलावा नीली दवा (मिथेलिन ब्ल्यू) दवाई भी उपलब्ध है। एक लीटर पानी में 10 ग्राम दवाई डालकर इसे पशुओं को पिलाया जा सकता है।
 
इंदौर के निकट नौलाना (गौतमपुरा) के उच्च शिक्षित किसान ईश्वर सिंह चौहान ने कहा कि गांव में लंपी ‍की शिकायत आने लगी है। हालांकि अच्छी बात यह है कि किसी भी पशु की मौत नहीं हुई है। पशुपालक इस मामले में पूरी ऐहतियात बरत रहे हैं। वैक्सीनेशन के साथ घरेलू उपचार भी कर रहे हैं। दरअसल, सभी अलर्ट मोड पर हैं क्योंकि एक दुधारू पशु की कीमत 50-60 हजार से कम नहीं होती। 
क्या है लंपी की दवा : टीकों के साथ ही लंपी के लिए मिथेलिन ब्ल्यू या नीली दवा भी बाजार में उपलब्ध है। यह दवा लंपी पर काफी कारगर बताई जा रही है। यह दवाई पावडर फॉर्म में आती है। एक लीटर पानी में इसकी 10 ग्राम मात्रा मिलाई जाती है।   इसके अलावा होम्योपैथी की दवा Rananculus Bubo 200 भी इस रोग में काफी मददगार बताई जा रही है। इसकी 10-10 बूंदें दिन में 3 बार प्रभावित पशुओं को दी जा सकती हैं। 
 
 
 
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