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Last Modified: शनिवार, 6 जून 2015 (17:57 IST)

किसानों को बर्बाद करने की पूरी तैयारी

किसानों को बर्बाद करने की पूरी तैयारी - farmers
-संजय जैन
 
झाबुआ। भले ही अभी मानसून ने दस्तक नहीं दी है, किसानों ने खरीफ की बुवाई की तैयारी पूरी नहीं की है, लेकिन निहित स्वार्थी तत्वों और सरकारी विभागों ने उन्हें बर्बाद करने की तैयारी पूरी कर ली है। ऐसे में खेती लाभ का धंधा कैसे बनेगी और किसानों का किस तरह भला होगा, यह तो केंद्र और राज्य सरकार ही जाने।
 
किसान अपने खेतों की हकाई-जुताई कर उन्हें तैयार करने में लगे हैं, ताकि बारिश शुरू होते ही समय पर बोवनी आरंभ हो जाए, लेकिन झाबुआ जिले में कृषि‍ विभाग और बीज निगम ने उन्हें खाद-बीज उपलब्ध कराने के पुख्ता इंतजाम नही किए हैं। नतीजतन वह फिर उसी बाजार के भरोसे रहेगा, जहां से उसे धोखे और बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं मिलता। 
 
सोयाबीन का बीज ही नहीं : पिछले साल अधिकांश जिलों का सोयाबीन बीज लेबोरेटरी जांच में फेल हो गया था। इस कारण बीज निगम के पास किसानों को देने के लिए बीज ही नहीं आया है। इससे बीज संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिले के किसानों को इस बार बीज निगम से सब्सिडी पर बीज शायद ही उपलब्ध हो पाए।
 
मात्र 1340 क्विंटल बीज :  खरीफ सीजन में जिले में कुल 1 लाख 88 हजार 175 हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी की जाएगी। इसमें 58 हजार 700 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोई जाएगी, जबकि बाकी क्षेत्र में मक्का, उड़द, ज्वार व तुअर की फसल बोई जाएगी। इतने रकबे के लिए सभी तरह के कुल 32998 क्विंटल बीज की जरूरत है, जबकि कृषि विभाग के पास मात्र 1340 क्विंटल बीज का भंडारण ही है। 
 
बीज माफिया की मनमानी : जिले के बीज माफिया ने इस स्थिति का लाभ उठाते हुए कुछ ऐसी सेटिंग की है कि प्रमाणित बीज मांग यानी बुकिंग का 40 से 50 प्रतिशत ही उपलब्ध हो। सूत्रों के अनुसार रायपुरिया में 3, पेटलावद में 6, बामनिया में 2, खवासा, थांदला, सारंगी और मेघनगर में एक-एक बीज माफिया के गोदामों में अप्रमाणित बीजों का बम्पर स्टॉक है।
 
सूत्र बताते हैं कि पेटलावद और रायपुरिया से जिले में 50 प्रतिशत से ज्यादा अप्रमाणित बीजों की आपूर्ति होती है, तो खवासा का एक बीज माफिया अप्रमाणित बीज बेचने के आरोप में न्यायालयीन कार्रवाई का सामना कर रहा है।
 
कृषि विभाग निष्क्रि‍य : विभाग के जिम्मेदार अधि‍कारी भी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे रहते हैं। ज्यादा दबाव पड़ने पर वे व्यापारियों की दुकान का निरीक्षण करने जाते तो हैं, लेकिन इसकी सूचना पहले से ही व्यापारियों को मिल जाती है। ऐसे में मिलीभगत और भ्रष्टाचार की आशंका होना स्वाभाविक है। 
 
पिछले साल हो चुका है नुकसान : पिछले साल विकासखंड में कई किसानों ने बाजार से प्रमाणित बीज खरीदा था। नगर में भी कई व्यापारियों ने दो साल पुराना सोयाबीन बीज बनाकर बड़े पैमाने पर बेचा था। खेतों में बोने के बाद वह बीज अंकुरित नहीं हुआ। इससे किसानों को फसल से तो हाथ धोना ही पड़ा, खाद-बीज सहित जुताई-बुआई पर खर्च किए गए हजारों रुपए बर्बाद हो गए थे। 
 
खाद भी नहीं : जिले में खरीफ सीजन के लिए 20 हजार मीट्रिक टन खाद का लक्ष्य  तय किया गया है, लेकिन उसकी तुलना में मात्र 5829 मीट्रिक टन खाद ही उपलब्ध है। जाहिर है किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ेगा। खाद न मिलने के कारण उनकी फसल बर्बाद होना तय है। 
 
खुला मिलता है बीज : व्यापारी दुकानों पर खुला बीज बेचते हैं, वह भी महंगे दामों पर। ऐसे में बीज की बोवनी करने से संशय बना रहता है। अधिकारियों को खरीफ सीजन के लिए बीज की व्यवस्था करवाना चाहिए। - ओम कौशल, किसान  

बिल जरूर लें : प्रमाणित बीज बेचने के लिए पंजीयन कराना आवश्यक है। जांच के बाद ही बीज को प्रमाणित किया जाता है। किसान पंजीकृत व अधिकृत व्यापारी से ही बिल के साथ बीज खरीदें। बाजार के व्यापारियों के यहां हमारी टीम जांच के लिए नियमित जा रही है।
- जीएस त्रिवेदी, उपसंचालक, कृषि विभाग, झाबुआ