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Last Modified: रविवार, 17 जून 2018 (12:23 IST)

अखाड़ा परिषद का बड़ा बयान, संत नहीं थे भय्यू महाराज

अखाड़ा परिषद का बड़ा बयान, संत नहीं थे भय्यू महाराज - Akhada Parisad on Bhayyu Maharaj
इंदौर। 'गृहस्थ संतों' की अवधारणा पर नाराजगी जताते हुए साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़ों की शीर्ष संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा है कि वह धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की विवाहित हस्तियों को संत का दर्जा नहीं देती। अपने भक्तों में 'राष्ट्रसंत' के रूप में मशहूर भय्यू महाराज  की कथित पारिवारिक कलह के कारण खुदकुशी के बाद संतों की भूमिका पर जारी बहस के बीच अखाड़ा परिषद का यह अहम बयान सामने आया है।
 
हिन्दुओं की प्रमुख धार्मिक संस्था के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि नेकहा कि भय्यू महाराज की मौत का हमें दु:ख है। वे एक सम्मानित व्यक्ति थे। लेकिन हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की विवाहित हस्तियों को 'संत' नहीं कहा जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि हम 'गृहस्थ संत' जैसी किसी अवधारणा को कतई मान्यता नहीं देते। हम लोगों  ने इस शब्दावली का कई बार विरोध भी किया है। गिरि ने कहा कि धर्म-अध्यात्म क्षेत्र की  हस्तियों को तय कर लेना चाहिए कि वे संतत्व चाहते हैं या घर-गृहस्थी। उन्हें एकसाथ दो नावों  की सवारी नहीं करनी चाहिए, वरना वे पारिवारिक तनाव-दबाव से स्वाभाविक तौर पर ग्रस्त रहेंगे।
 
उन्होंने दावा किया कि धर्म-अध्यात्म क्षेत्र में आज से करीब 50 साल पहले तथाकथित 'गृहस्थ  संतों' को तवज्जो नहीं दी जाती थी लेकिन अब स्थिति इसके एकदम उलट हो गई है। अब  मीडिया और आम जनमानस में कथावाचकों, उपदेशकों और प्रवचनकारों को भी 'संत' कहा जा  रहा है। हर किसी के लिए 'संत' शब्द का इस्तेमाल हमारे मुताबिक उचित नहीं है। चूंकि आम  हिन्दुओं की आस्था भगवा कपड़ों से जुड़ी है इसलिए आजकल कई गृहस्थ कथावाचक भी भगवा  कपड़े पहनकर खुद को संत घोषित कर देते हैं।
 
गिरि ने कहा कि यह समाज को चुनना है कि वह धर्म-अध्यात्म क्षेत्र में किन लोगों को अपना  मार्गदर्शक माने। लेकिन जो लोग संतत्व और गृहस्थी दोनों का एकसाथ आनंद ले रहे हैं, वे  अंतत: अधोगति को प्राप्त होंगे। उन्होंने यह सलाह भी दी कि भय्यू महाराज की आत्महत्या के  बाद उनके परिवार को आपस में विवाद नहीं करना चाहिए, वरना आध्यात्मिक गुरु के हजारों  अनुयायियों की आस्था को चोट पहुंचेगी।
 
भय्यू महाराज (50) ने यहां बाईपास रोड स्थित अपने बंगले में 12 जून को गोली मारकर  आत्महत्या कर ली थी। अधिकारियों के मुता​बिक पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि  भय्यू महाराज कथित पारिवारिक कलह से परेशान थे। हालांकि पुलिस अन्य पहलुओं पर भी  विस्तृत जांच कर पता लगाने में जुटी है ​कि हजारों लोगों की उलझनें सुलझाने का दावा करने  वाले आध्यात्मिक गुरु को आत्महत्या का गंभीर कदम आखिर क्यों उठाना पड़ा?
 
भय्यू महाराज का वास्तविक नाम उदयसिंह देशमुख था। वे मध्यप्रदेश के शुजालपुर कस्बे के  जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनकी पहली पत्नी माधवी की नवंबर 2015 में दिल के  दौरे से मौत हो गई थी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2017 में 49 साल की उम्र में मध्यप्रदेश के  शिवपुरी की डॉ. आयुषी शर्मा के साथ दूसरी शादी की थी। आयुषी से उन्हें करीब 2 महीने की  बेटी है।
 
भय्यू महाराज के शोक-संतप्त परिवार में उनकी मां कुमुदिनी देशमुख (70) और पहली पत्नी से  जन्मी बेटी कुहू (17) भी हैं। (भाषा)
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