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Written By WD

चलें महेश्वर : माँ नर्मदा के तीर

महेश्वर माँ नर्मदा के तीर
Shruti AgrawalWD
इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है। इसका उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है। इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर ने यहाँ की महिमा को चार चाँद लगाए। महेश्वर के मंदिर तथा दुर्ग परिसर के सौंदर्य में अपार आकर्षण विद्यमान है। महेश्वर की महेश्वरी साड़ियाँ अति प्रसिद्ध हैं।

यहाँ के पेशवा घाट, फणसे घाट और अहिल्या घाट प्रसिद्ध हैं जहाँ तीर्थयात्री शांति से बैठकर ध्यान में डूब सकते हैं। नर्मदा नदी के बालुई किनारे पर बैठकर आप यहाँ ठेठ ग्राम्य जीवन के दर्शन कर सकते हैं। पीतल के बर्तनों में पानी ले जाती महिलाएँ, एक किनारे से दूसरे किनारे तक सामान ले जाते पुरुष और किल्लोल करता बचपन..!

राजगद्दी और राजवाड़ा-
नर्मदा के तीर पर बने किले में स्थित राजगद्दी पर देवी अहिल्याबाई की प्रतिमा रखी गई है। आज भी यह स्थान सजीव दरबार की तरह लगता है। किले के ऊपर से शांत नीली नर्मदा के जल को निहारने का अपना ही सुख है। किले के अन्य कमरों में करघे लगे हैं जिन पर साड़ी बनते हुए कोई भी देख सकता है। किले में स्थित छोटे से मंदिर से आज भी दशहरे के उत्सव की शुरुआत की जाती है जैसे राजा-महाराजा के समय में की जाती थी। किले से ढलवाँ रास्ते से नीचे जाते ही शहर बसा हुआ है।

Shruti AgrawalWD
मंदि
महेश्वर के मंदिर दर्शनीय हैं। हर मंदिर के छज्जे, अहाते में खूबसूरत नक्काशी की गई है। कालेश्वर, राजराजेश्वर, विट्ठलेश्वर और अहिल्येश्वर मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं।

कैसे पहुँचें
वायु सेवा- महेश्वर के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदौर क्रमशः 77 तथा 91 किमी है जो मुंबई, दिल्ली, भोपाल तथा ग्वालियर से सीधी विमान सेवा से जुड़ा है।

रेल सेवा- महेश्वर के लिए बड़वाह (39 किमी) निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। पश्चिमी रेलवे के बड़वाह, खंडवा, इंदौर से भी यहाँ पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग- बड़वाह, खंडवा, इंदौर, धार और धामनोद से महेश्वर के लिए बस सेवा उपलब्ध है।

कब जाएँ-
जुलाई से लेकर मार्च तक का समय यहाँ जाने के लिए उपयुक्त है।
ठहरने के लिए- गेस्ट हाउस, रेस्ट हाउस, तथा धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं।