• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. रोमांस
  4. »
  5. प्रेम गुरु
Written By ND

प्यार में डालें भरोसे की नींव

मानसी

प्यार इश्क रोमांस मोहब्बत डेटिंग टिप्स प्रेम लव
ND
हेलो दोस्तो! जिंदगी को यदि एक सूची का नाम दें तो बड़ा ही अटपटा लगेगा। पर, यह सच है कि जब तक सांस चलती है तब तक हजारों कामों की फेहरिस्त कभी समाप्त होने का नाम नहीं लेती। कई बार यह व्यस्तता आपको इतना निढाल कर देती है कि आप सुकून के दो पल के लिए तरस जाते हैं। आपको लगता है इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में प्यार जैसी नाजुक भावना को महसूस करने और व्यक्त करने के लिए आपके पास समय ही कहां है?

पर, जिनके लिए आपके दिल में बेइंतहा प्यार है, जिनकी आपको परवाह है, उन्हें इसी भागमभाग में उस प्यार का अहसास कराना भी जरूरी है वरना दूसरा साथी जो अपेक्षाकृत कम व्यस्त है इसका गलत अर्थ निकालेगा। वह इस दूरी को उपेक्षा का नाम देगा और इस आधार पर रिश्ते में दरार आ सकती है।

ऐसी ही गलतफहमी का शिकार हो रहे हैं दीपक (बदला हुआ नाम)। दीपक बारहवीं के छात्र हैं और घर में अकेले हैं। स्कूल खत्म होने के बाद उन्हें घर में ही ढेर सारा काम निपटना पड़ता है। अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में ही उनका सारा समय खत्म हो जाता है। मौका निकाल कर वह अपनी दोस्त को फोन भी करते हैं और कभी-कभी मिलने भी जाते हैं। पर उनकी दोस्त दीपक की समस्या समझने को तैयार ही नहीं है। उसे लगता है कि दीपक न मिलने का बहाना बनाता रहता है। नौबत रिश्ता टूटने तक आ पहुंची है। दीपक अपने दो वर्ष पुराने रिश्ते को इस प्रकार खत्म होता नहीं देख सकते क्योंकि वे इस रिश्ते में गंभीरता से जुड़े हुए हैं।

दीपक जी, ऐसा लगता है, पहले आपने अपनी जिम्मेदारियों के विषय में कभी विस्तार से अपनी दोस्त से बातें नहीं की हैं। जब तक स्कूल था आप बाहर निकलते थे, मिलकर समय बिताते थे पर अब स्थिति वैसी नहीं है। जो भी रिश्ता निकटता और अपनेपन का हो वहां केवल हंसी-ठिठोली से ही काम नहीं चलता है। अपनी मजबूरियां, जीवन की सच्चाइयां भी एक-दूसरे से बांटनी चाहिए ताकि सामने वाला खुद को उस रिश्ते के अनुकूल ढाल सके या फिर अपनी सीमा बता सके। अचानक संवाद कम करने से दूसरा इसे अन्यथा भी ले सकता है।

दीपक जी, यों भी आपकी दोस्ती का आधार ही केवल मिलना-जुलना, बातचीत करना था यदि उसके बुनियादी तत्व ही गायब हो जाएंगे तो उसमें क्या बचा रह जाएगा। कई बार दो लोग महीनों-सालों तक नहीं मिलते हैं पर उनका रिश्ता समाप्त नहीं होता है क्योंकि उन्हें आपस में भरोसा होता है कि यह दूरी अपने भविष्य को संवारने के लिए है। वे एक-दूसरे का इंतजार करते हैं। एक-दूसरे की व्यस्तता का सम्मान करते हैं और सात समंदर पार से भी लौट आने की राह ताकते हैं।

ऐसे रिश्ते में कम मिलना, कम बातें करना बाधा नहीं है बल्कि भरोसे की कसौटी पर खरा उतरने का एक सुनहरा मौका है। इस विश्वास की पूंजी के सहारे वे अपनी जिंदगी की हर कठिन घड़ी भी मजे में काट लेते हैं। पर, आप दोनों के बीच अभी भरोसे की वह नींव नहीं पड़ पाई है जहां अनायास आ जाने वाली मजबूरियों पर यकीन किया जा सके। एक-दूसरे की दिक्कतों को समझने के लिए आपसी प्रतिबद्धता की जरूरत पड़ती है। पर, आपकी दोस्त अभी इस रिश्ते को इतनी गंभीरता से लेती हुई नहीं दिखती है।

आपको यदि इस रिश्ते को बचाना है तो आप समय निकालकर उससे मिलें। उससे अपनी स्थिति साफ-साफ बता दें पर अपनी जिम्मेदारियों को न नकारें। यदि उसे आपकी दोस्ती चाहिए तो वह आपके दर्द को जरूर समझने की कोशिश करेगी। यदि वह इस रिश्ते को अधिक दूर तक नहीं देखती है तो शायद वह आपकी मजबूरियों को समझने की जहमत भी नहीं उठाएगी। आपको अपनी ओर से प्रयत्न करना चाहिए ताकि जो भी संभावना बन सकती है वह सामने आ सके और वास्तविक स्थिति पता लग सके।