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द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) : अन्नादुराई से करुणानिधि तक

डीएमके का राजनीतिक इतिहास-DMK political history - DMK political history
द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक या डीएमके) एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल है, जिसका जनाधार तमिलनाडु और पुडुचेरी में है। इसकी स्थापना 17 सितंबर 1949 में सीएन अन्नादुराई ने की थी। इसका गठन द्रविड़ कषगम नामक पार्टी के विभाजन के बाद हुआ, जिसके प्रमुख पेरियार ईवी रामास्वामी थे। पार्टी का चुनाव चिह्न उगता हुआ सूरज है। 
 
दिग्गज नेता एम. करुणानिधि 1969 में डीएमके के प्रमुख बने और 7 अगस्त 2018 में अपनी मृत्यु तक वे इस पद पर रहे। करुणानिधि पांच बार राज्य के मुख्‍यमंत्री रहे। द्रमुक कांग्रेस के बाद ऐसी पहली पार्टी थी, जिसने राज्य में अपने बूते बहुमत हासिल किया।

वर्तमान में इसके प्रमुख करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन हैं। फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर रहे करुणानिधि ने पार्टी की सफलता की पटकथा भी बखूबी लिखी।
DMK History
1996 में डीएमके ने 11वीं विधानसभा के लिए सीपीआई और तमिल मनीला कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सत्ता में वापसी की और 234 में से 225 सीटें जीतीं। 2006 में एक बार फिर डीएमके ने कांग्रेस और पीएमके के सहयोग से सत्ता हा‍सिल की। तब इस गठबंधन को 163 सीटें मिलीं। इनमें डीएमके 96, कांग्रेस 34 और पीएमके ने 18 सीटों पर विजय प्राप्त की। 2011 और 2016 में पार्टी सत्ता से बाहर रही, लेकिन 2021 विधानसभा चुनाव में डीएमके ने 125 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की। 
 
डीएमके 1999 से 2004 तक एनडीए का हिस्सा रह चुकी है, जबकि वर्तमान में यह कांग्रेस नीत यूपीए का हिस्सा है। डीएमके और करुणानिधि पर लिट्‍टे से संबंध होने के आरोप के साथ ही परिवारवाद के भी आरोप लगते रहे हैं।
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