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Last Updated : बुधवार, 14 फ़रवरी 2018 (12:33 IST)

आईएस जिहादी: ना घर के रहे, ना घाट के

आईएस जिहादी: ना घर के रहे, ना घाट के | Islamic State
आईएस के कब्जे से मुक्त हुए इराक के सुन्नी बहुल अनबार प्रांत में लोग फिर से अपने घरों को बनाने में जुटे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी पक्का इरादा किया है कि अपने इलाके में जिहादी परिवारों को नहीं लौटने देंगे।
 
 
आईएस के खिलाफ लड़ने वाले ओमार शीहान अल-अलवानी चेतावनी देते हैं कि वापसी की कोशिश करने वाले आईएस लड़ाकों के रिश्तेदारों से बदला लिया जाएगा। वह कहते हैं, "अनबार एक कबीलाई समाज है। अगर किसी का भाई या बाप मारा गया है तो वह हत्यारे के कबीले के किसी सदस्य को मार कर उसका बदला लेता है।"
 
35 वर्षीय ओमार का कहना है, "हम नहीं चाहते कि यहां आईएस के लड़ाके वापस आएं और यहां फिर से बदला लेने का कुचक्र शुरू हो। हम पूरी तरह इसके खिलाफ हैं। अगर वे वापस आते हैं तो फिर यहां खून बहेगा जिसे रोकना ना तो कबीलों के बस में होगा और न ही सेना के।"
 
 
किसी समय इस इलाके में सुन्नी चरमपंथी गुट आईएस को लोगों का बहुत समर्थन हासिल था। लेकिन आज हवा का रुख तब्दील हो चुका है। दरअसल आईएस की नींव डालने वाले लोग इसी इलाके से उभरे थे और इलाके के बहुत से लोगों ने उनका साथ दिया। उन्हें लगता था कि ये लोग इराक में शिया बहुल सरकार से उनकी रक्षा करेंगे।
 
सरकारी बलों ने जिहादियों को यहां से निकाल बाहर किया। लेकिन पांच साल बाद 2013 के आखिरी महीनों में कबाइली लड़ाकों ने आईएस के साथ मिल कर इराक की सरकार के खिलाफ बगावत कर दी। जिहादियों ने एक बड़े इलाके पर कब्जा जमाने के इस मौके को हथिया लिया। लेकिन जैसे जैसे आईएस की बर्बरता सामने आने लगी तो बहुत से कबीले उसके खिलाफ होते गए। आईएस ने इस्लाम की कट्टरपंथी व्याख्या को लोगों पर थोपना शुरू किया और जो लोग उसके साथ वफादारी नहीं जताते थे उन्हें सरेआम कोड़े मारे जाने लगे।
 
 
अब यह इलाका आईएस से मुक्त हो गया है। यहां के लोग यह अनुमान लगाने में जुटे हैं कि इस चरमपंथी गुट ने यहां कितनी तबाही मचाई और कितना खून बहाया। इन लोगों का कहना है कि वे अब अतीत की गलतियों को दोहराना नहीं चाहते।
 
नाई की दुकान पर बाल कटाने आए 60 वर्षीय खमीस अल दहल कहते हैं, "वे बहिष्कृत हैं और समाज उन्हें खारिज करता है।" वह कहते हैं, "सरकार हमारे ऊपर उन लोगों को स्वीकार करने के लिए दबाव नहीं डाल सकती जिन्होंने हमारे लोगों, महिलाओं और बच्चों को मारा।"
 
 
हालांकि कई लोग नरम रवैया भी रखते हैं लेकिन चिंता उन्हें भी है। पूर्व कबायली लड़ाके ओमार इब्राहिम कहते हैं, "हम उनकी वापसी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह इसके लिए सही समय नहीं है और इससे अशांति भड़केगी और सड़कों पर खून बहेगा।" उनकी राय है, "उन्हें इराकी सरकार की निगरानी में कैंप में रखा जाना चाहिए। उन्हें सिखाया जाना चाहिए कि वे फिर से कैसे मिलजुल कर रह सकते हैं और चरमपंथी सोच के साथ लड़ सकते हैं।"
 
 
कई लोग पहले से ही ऐसे कैंपों में रह रहे हैं। इस समय अनबार प्रांत में दो कैंप बनाए गए हैं जिनमें जिहादियों के 380 परिवार खासी कठिन परिस्थितियों में रहते हैं। पिछले साल अमेरिकी संस्था रिफ्यूजी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि आईएस से जुड़ी रहीं महिला और लड़कियों का इन कैंपों में तैनात गार्ड यौन शोषण करते हैं। जो लोग इस शिविर से चले जाते हैं, उनके पास कोई जगह नहीं है जहां वे जा सकें।
 
 
रमादी में स्थानीय नागरिकों का कहना है कि आईएस जिहादियों के परिवारों के घरों को तबाह कर दिया गया है। ठीक उसी तरीके से, जैसा आईएस किया करता था। 2016 की शुरुआत में मुक्त हुए इस शहर में अब भी हर तरफ जंग और तबाही के निशान दिखते हैं।
 
एके/एमजे (एएफपी)
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