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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 21 जून 2022 (17:52 IST)

भारत और चीन बने रूस के रक्षक, युद्ध से पहले जितना हुआ तेल निर्यात

भारत और चीन बने रूस के रक्षक, युद्ध से पहले जितना हुआ तेल निर्यात - India and China became protectors of Russia
रूस और चीन की दोस्ती कितनी गाढ़ी हो चुकी है, इसका अंदाजा मई के रूसी तेल निर्यात के आंकड़ों से लगता है। रूस ने चीन को तेल निर्यात में सऊदी अरब से पीछे छोड़ दिया है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण रूस को हुए घाटे की भरपाई के लिए मई में चीन ने अपना तेल आयात बढ़ा दिया जिसके चलते वह रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक बन गया। सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक रूस का ऊर्जा निर्यात उसी स्तर पर पहुंच गया है, जो फरवरी में यूक्रेन पर हमले से पहले था।
 
चीनी आयात में आए इस उछाल का अर्थ यह है कि सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए रूस चीन का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और पिछले महीने उसने रूस से 84.2 लाख टन तेल आयात किया। फरवरी 2021 की तुलना में यह 55 प्रतिशत ज्यादा है। मई में चीन ने सऊदी अरब से 78.2 लाख टन तेल खरीदा था।
 
24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई शुरू की थी, जिसे उसने 'विशेष सैन्य अभियान' नाम दिया था। जिन देशों ने इस कार्रवाई के लिए रूस की आलोचना नहीं की है, उनमें भारत के अलावा चीन का भी नाम है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में कई प्रस्तावों पर रूस का साथ भी दिया है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की स्थिति में उसके उत्पाद खरीदकर चीन ने रूस की आर्थिक मदद भी की है।
 
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया था। ब्रिटेन ने भी इस साल के आखिर तक रूसी तेल का आयात पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया है जबकियूरोपीय संघ भी इसी दिशा में बढ़ रहा है।
 
भारत और चीन बने मददगार
 
ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक पिछले महीने चीन ने रूस से 7.47 अरब डॉलर के ऊर्जा उत्पाद खरीदे जो अप्रैल की तुलना में एक अरब डॉलर ज्यादा हैं। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से निबटने में रूस को एशिया से खासी मदद मिल रही है। इसमें खास तौर पर भारत और चीन द्वारा रूस से आयात का बढ़ाया जाना मददगार साबित हुआ है। राइस्टाड एनर्जी की रिसर्च दिखाती है कि 2021 की तुलना में मार्च से मई के बीच भारत ने रूस से 6 गुना ज्यादा तेल खरीदा है जबकि चीन का आयात इस अवधि में 3 गुना हो गया है।
 
विश्लेषक वेई चिओंग हो ने बताया कि अब तक तो यह मामला शुद्ध अर्थशास्त्र का है कि भारत और चीन की रिफाइनरी रूस से ज्यादा कच्चा तेल खरीद रही हैं, मसलन इसलिए कि वह सस्ता है।
 
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की तेल के बारे में ताजा अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो महीनों में भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के मामले में जर्मनी को पीछे छोड़ दिया है और वह दूसरा सबसे बड़ा आयातक बन गया है। चीन 2016 से रूस का सबसे बड़ा आयातक रहा है। आंकड़े दिखाते हैं कि मई में चीन का रूस से कुल आयात 2021 के मुकाबले 80 प्रतिशत बढ़कर 10.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया। चीन ने रूस से तेल के अलावा प्राकृतिक गैस भी 54 प्रतिशत ज्यादा खरीदी है।
 
रूस-चीन दोस्ती
 
फरवरी में रूस द्वारा यूक्रेन में कार्रवाई शुरू करने से कुछ ही दिन पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन की यात्रा की थी और तब दोनों नेताओं ने ऐलान किया था कि दोनों देशों के संबंधों में कोई हद नहीं हो सकती। अब यह बात असल में भी नजर आने लगी है, क्योंकि चीन में कोविड प्रतिबंधों के चलते पिछले दिनों में तेल की मांग कम रही है। हालांकि पिछले महीने में इसमें सुधार देखा गया है।
 
कभी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रहे चीन और रूस के बीच यह गर्मजोशी बीते सालों में लगातार बढ़ी है जिसे अमेरिकी वर्चस्व को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जाता है। इसी महीने दोनों देशों को जोड़ने वाले पहले पुल का उद्घाटन हुआ है। यह पुल रूस के पूर्वी शहर ब्लागोवेशचेंश्क को सड़क मार्ग से चीन के हाइहे शहर से जोड़ेगा।
 
बीते हफ्ते ही रूस और चीन के नेताओं ने फोन पर बात की जिसमें चीनी राष्ट्रपी शी जिनपिंग ने अपने रूसी समकक्ष को भरोसा दिलाया कि 'संप्रभुता और सुरक्षा' के मुद्दे वह रूस का साथ देंगे।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
 
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
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