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Last Modified: मुंबई , बुधवार, 8 मार्च 2017 (22:17 IST)

एसबीआई ने जुर्माने को उचित ठहराया

एसबीआई ने जुर्माने को उचित ठहराया - SBI fine
मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बैंक खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के अपने फैसले को उचित ठहराया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने कहा है कि उसे शून्य शेष वाले बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के बोझ को कम करने के लिए कुछ शुल्क लगाना पड़ेगा।
बैंक ने कहा है कि उसे सरकार की ओर से जुर्माने के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अभी तक औपचारिक रूप से कोई सूचना नहीं मिली है। यदि सरकार की ओर से कुछ आता है तो उस पर विचार किया जाएगा। एसबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनधन खातों पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
 
पिछले सप्ताह एसबीआई ने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माने के प्रावधान को फिर लागू करने की घोषणा की थी। इसके अलावा उसने अन्य बैंकिंग सेवाओं पर शुल्कों में भी संशोधन किया था। नए शुल्क पहली अप्रैल से लागू होंगे। सरकारी बैंक को अपने इस कदम के लिए विपक्षी दलों सहित अन्य लोगों की ओर से चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
 
एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने यहां महिला उद्यमियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर अलग से कहा, आज हमारे ऊपर काफी बोझ है। इनमें 11 करोड़ जनधन खाते भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के लिए हमें कुछ शुल्क लगाने की जरूरत है। हमने कई चीजों पर विचार किया और सावधानी से विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया है। 
 
एसबीआई की संशोधित शुल्‍कों की सूची के अनुसार खातों में मासिक औसत राशि (एमएबी) नहीं रखने पर 100 रपए तक जुर्माना और सेवा कर लगेगा। महानगरों 5,000 रुपए के एमएबी पर यदि खाते में जमा राशि इसके 75 प्रतिशत से नीचे जाती है, तो यह जुर्माना 100 रुपए जमा सेवा कर होगा। यदि यह राशि 50 प्रतिशत या कुछ कम नीचे जाती है तो बैंक 50 रुपए और सेवा कर जुर्माना लगाएगा। गंतव्य के हिसाब से एमएबी के लिए जुर्माना राशि भिन्न होगी। ग्रामीण शाखाओं के मामले में यह कम होगी।
 
भट्टाचार्य ने कहा कि सभी बैंकों के खाताधारकों में न्यूनतम राशि रखने का प्रावधान है। एसबीआई ने खाते में जो न्यूनतम राशि का प्रावधान किया है वह सभी बैंकों में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि यह जुर्माना पहले भी था। एसबीआई एकमात्र बैंक है जिसने इसे 2012 में वापस लिया था। भट्टाचार्य ने कहा कि हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर खाताधारक मासिक आधार पर अपने खाते में 5,000 रुपए से अधिक की राशि रखते हैं। ऐसे में उन्हें जुर्माने को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। (भाषा)
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