सोमवार, 23 दिसंबर 2024
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लाल किताब अनुसार कालसर्प 'दोष' नहीं 'योग' कहें

लाल किताब अनुसार कालसर्प 'दोष' नहीं 'योग' कहें | kaal sarp dosh
काल का अर्थ समय होता है मृत्यु नहीं। दूसरा यह कि कालसर्प योग होता है, दोष नहीं। ये 12 तरह के विशेष योग होते हैं। लाल किताब इसे दोष नहीं मानती। इस योग के कई सकारात्मक पहलू भी हैं। यदि कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो उसे पूर्ण कालसर्प योग कहते हैं।
 
लाल किताब में पहले भाव को 'राज सिंहासन' एवं सातवें भाव को 'विवाह का घर' कहा गया है। जब भारत आजाद हुआ था तो इन दोनों भावों पर राहु और केतु का कब्जा था। अर्थात यदि सिंहासन है तो विवाह नहीं और यदि विवाह है तो सिंहासन नहीं। 
 
गलती से कोई विवाहित व्यक्ति भारत के सिंहासन पर विराजमान हो भी जाता है तो इसकी सजा प्रजा को भुगतना होगी। ऐसा माना जाता है, लेकिन यह अभी शोध का विषय है।
 
यह योग सभी की कुंडली में 12 प्रकार का होता है। इसका कारण यह कि यह योग पिछले जन्म के कार्यों को दर्शाता है। जिस किसी को भी किसी भी तरह का कालसर्प योग है तो उसका प्रभाव स्वत: ही 45 वर्ष की उम्र में समाप्त हो जाता है। उससे पूर्व जानें इसके निदान के उपाय :-
 
खाना नम्बर एक :- प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु हो तो चाँदी की ठोस गोली अपने पास रखें।
 
खाना नम्बर दो :- द्वितीय भाव में राहु और अष्टम में केतु हो तो दो रंग या ज्यादा रंगों वाला कम्बल दान करें।
 
खाना नम्बर तीन :- तृतीय भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो सोना धारण करें। बाएँ हाथ की कनिष्ठा में सोने का छल्ला पहनें या चने की दाल बहते पानी में बहाएँ।
 
खाना नम्बर चार :- चतुर्थ भाव में राहु और दशम भाव में केतु हो तो चाँदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर जमीन में दबाएँ।

खाना नम्बर पाँच :- पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु हो तो घर में चाँदी का ठोस हाथी रखें।
 
खाना नम्बर छ :- षष्ठ भाव में राहु और द्वादश भाव में केतु हो तो बहन की सेवा करें, ताजे फूल को अपने पास रखें। कुत्ता पालें।
 
खाना नम्बर सात :- सप्तम भाव में राहु और प्रथम भाव में केतु हो तो लोहे की गोली को लाल रंग से अपने पास रखना। चाँदी की डिब्बी में बहते पानी का जल भरकर उसमें चाँदी का एक चौकोर टुकड़ा डालकर तथा डिब्बी को बंद करके घर में रखने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखते रहें कि डिब्बी का जल सूखे नहीं।
 
खाना नम्बर आठ :- अष्टम भाव में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो तो आठ सौ ग्राम सिक्के के आठ टुकड़े करके एक साथ बहते पानी में प्रवाहित करना अच्छा होगा।
 
खाना नम्बर नौ :- नवम भाव में राहु और तृतीय भाव में केतु हो तो चने की दाल पानी में प्रवाहित करें। चाँदी की ईंट बनवाकर घर में रखें।
 
खाना नम्बर दस :- दशम भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हो तो पीतल के बर्तन में बहती नदी या नहर का पानी भरकर घर में रखना चाहिए। उस पर चाँदी का ढक्कन हो तो अति उत्तम।
 
खाना नम्बर ग्यारह :- एकादश भाव में राहु और पंचम भाव में केतु होने पर 400 ग्राम सिक्के के 10 टुकड़े करा कर एक साथ बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके अलावा 43 दिनों तक गाजर या मूली लेकर सोते समय सिरहाने रखकर सुबह मंदिर आदि पर दान कर दें।
 
खाना नम्बर बारह :- द्वादश भाव में राहु और षष्ठ भाव में केतु हो तो लाल रंग की बोरी के आकार की थैली बनाकर उसमें सौंफ या खांड भर कर सोने वाले कमरे में रखना चाहिए। कपड़ा चमकीला न हो। केतु के लिए सोने के जेवर पहनना उत्तम होगा।
 
सावधानी : उपरोक्त बताए गए उपायों को लाल किताब के किसी योग्य ज्योतिष से सलाह लेकर ही अमल में लाएँ।
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