बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. poem on topa swetar

बाल गीत : कानों का कन टोपा बोला

बाल गीत : कानों का कन टोपा बोला - poem on topa swetar
शीत लहर ने कमरे में भी,
ठंडक का मीठा रस घोला।
कानों का कन टोपा बोला।


 
गरम चाय के दौर चले तो,
आई मुंगौड़ी दौड़ी दौड़ी।
दादाजी बचपन की बातें,
लगे ठोकने लंबी चौड़ी।
खाओ मुंगौड़ी के संग थोडा़,
आलू मटर टमाटर छोला।
कानों का कन टोपा बोला।
 
खिड़की बंद, बंद दरवाजे,
फिर भी कुल्फी-कुल्फी कपडे़।
जमा हुआ घी बरफ सरीखा,
अम्मा रोटी कैसे चुपड़े।
ठण्ड बहुत है कहकर दादी,
ने मुन्नी का हाथ टटोला।
कानों का कन टोपा बोला।
 
नहीं जाएंगे पापा ऑफिस,
दादाजी ने निर्णय थोपा।
बच्चे घर में बंद रहेंगे,
दादीजी ने ऑर्डर ठोका।
दरवाजा ग्वाले ने पीटा,
अम्मा ने मुश्किल से खोला।
कानों का कन टोपा बोला।
ये भी पढ़ें
भारतीय अमेरिकी नेताओं का स्वागत समारोह