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मजेदार बाल कविता : गिलकी और करेला

मजेदार बाल कविता : गिलकी और करेला - Poem on gilki and bitter gourd
गोल टमाटर पहुंचा गिलकी,
के संग ब्याह रचाने।
 
लेकिन उसको डांट भगाया,
गिलकी की अम्मा ने।
 
बोली गिलकी बिटिया को तो,
लगता भला करेला।
 
बचपन से ही साथ पढ़ा है,
संग साथ में खेला।
 
दोनों हरे-हरे हैं तन के,
बूढ़ों को भाते हैं।
 
इनकी साग बनाकर निर्बल,
रोगी जन खाते हैं।
 
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